धनबाद.
अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक दिवस आज (23 जून) पूरे विश्व में मनाया जायेगा. इसका उद्देश्य खेलों के महत्व व खिलाड़ियों को बढ़ावा देना है. देश-विदेश में सरकार जहां खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने के लिए उन्हें कई सुविधाएं मुहैया कराते हैं. वहीं धनबाद के खेल जगत में अजीब स्थिति है. हमारे खिलाड़ी अपने दम पर पदक जीतकर देश व राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं, लेकिन खेल व्यवस्था शून्य है. सरकार और खेल प्रशासन की ओर से खिलाड़ियों को पर्याप्त समर्थन नहीं मिल ने से उनकी प्रतिभा और क्षमता का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है. हाल के वर्षों में धनबाद के कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं. इसके बावजूद खेल व्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं हुआ है. खिलाड़ियों को अभी भी अपने प्रशिक्षण और उपकरणों के लिए खुद पैसे खर्च करने पड़ते हैं, इससे उनकी प्रतिभा और क्षमता प्रभावित होती है.खेल व्यवस्था में सुधार करने की जरूरत
सरकार को खेलों के लिए राशि आवंटित करना चाहिए और उनके मनोबल बढ़ाने के लिए लगातार काम करना चाहिए. इससे शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के खिलाड़ी की प्रतिभा निखर सके. वहीं सरकार द्वारा ग्राउंड से लेकर अन्य व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि वह लगातार अपने अपने खेल का प्रैक्टिस कर सकें.खिलाड़ियों ने कहा
दीया सेन
ने तैराकी प्रतियोगिता में कई मेडल लाकर जिले का नाम रोशन किया है. सीबीएसई और ट्रायथलॉन के लिए राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में भाग लिया. जिला तैराकी और झारखंड राज्य तैराकी में कई स्वर्ण पदक जीते. वहीं दीया सेन ने बताया कि जिले में एक ओलिंपिक मानक का स्विमिंग पूल होना चाहिए. जहां हमारे जिले के तैराक अभ्यास कर सकें और हमारे देश के लिए पदक जीत सकें.राजदीप पॉल
ने वॉलीबॉल में जिला व राज्य के लिए कई पद जीते हैं. इस्ट जोन यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप, 47 जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के अलावा कई प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. अभी भी प्रयास जारी है. राजदीप ने बताया कि सरकार की ओर से आर्थिक सहयोग और प्रैक्टिस की व्यवस्था की जाती तो जिला के कई खिलाड़ी और बेहतर प्रदर्शन करते.सत्यम शौर्य
का लक्ष्य टेबल टेनिस में इंटरनेशनल स्तर पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है. वह अब तक कई नेशनल प्रतियोगिता खेल चुके हैं. वर्ष 2022-23 में डिस्ट्रिक टूर्नामेंट में चैंपियन बना. 2024 में स्टेट चैंपियनशिप का खिताब, अंडर 19 ब्वॉजय स्टेट टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल, मेंस स्टेट टूर्नामेंट में ब्रांज मेडल के अलावा कई पदक जीते हैं, लेकिन यहां कोई कोच नहीं है. अगर अच्छे कोच बच्चों को गाइड करें तो यहां के खिलाड़ी और बेहतर सकते हैं. यहां अच्छे कोर्ट व कोच की जरूरत है. जहां खिलाड़ी प्रैक्टिस कर सकें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है