लाख कोशिशों के बाद भी जिला परिवहन विभाग दलालों से मुक्त नहीं हो पा रहा है. काम को पारदर्शी बनाने के लिए लाइसेंस बनवाने से लेकर वाहनों के दुबारा रजिस्ट्रेशन तक के लिए सारी प्रक्रिया ऑनलाइन की गयी. लेकिन इसमें भी वेंडरों ने सेंध लगा दी है. यह सब हो रहा परिवहन विभाग के कर्मियों व दलालों की मिली भगत से. लेकिन इसपर अंकुश लगाने के लिए कोई काम नहीं हो रहा है. आज के समय में सबसे मुश्किल काम हो गया है ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन करने के बाद टेस्ट के लिए स्लॉट बुक करना. इसके लिए लोगों को काफी इंतजार करना पड़ता है. क्योंकि दलाल कई कंप्यूटरों के माध्यम से पोर्टल खुलते ही सभी स्लॉट बुक कर लेते हैं. इसके बाद शुरू होता है पैसों का खेल. जब आम आदमी स्लॉट नहीं मिलने से परेशान हो जाता है, तो वह दलाल के चक्कर में पड़ता है. परिवहन विभाग ने एक अक्तूबर 2018 को ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग का नियम लाया था. इसके बिना लाइसेंस की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती है. स्लॉट बुकिंग में परेशानी की कई लोगों ने शिकायत की. इसपर प्रभात खबर की टीम ने एक वेंडर से बात की. उसने सिर्फ स्लॉट बुक करने के लिए 500 रुपये मांगा.
45 दिन में लाइसेंस बनवाने का दावा करते हैं वेंडर :
रोजाना सुबह आठ बजे एक सप्ताह का स्लॉट बुक करने के लिए परिवहन विभाग का पोर्टल खुलता है. एक-एक घंटे के अंतराल का चार समय मिलता है. इसमें कुल 100 स्लॉट मौजूद रहते हैं. वेंडर एक साथ पांच से छह कंप्यूटर पर एक साथ स्लॉट बुक करते हैं. इस वजह से आम लोगों को स्लॉट नहीं मिल पाता है. इसी के दम पर वेंडर 45 दिनों के अंदर लाइसेंस बनवाने का दावा करते हैं. वहीं आम लोगों को इसमें लगभग तीन माह का समय लग जाता है. वेंडर स्लॉट बुक करते हैं यह बात डीटीओ भी मानते हैं.विभाग में वेंडरों का सिंडिकेट करता है काम :
परिवहन विभाग में वेंडरों का सिंडिकेट काम करता है. चाहे आपको लर्नर लाइसेंस बनवाना हो, या ड्राइविंग लाइसेंस. यह सिंडिकेट इतना मजबूत है कि वाहनों का दुबारा रजिस्ट्रेशन कराने में भी लोगों के पसीने छूट जाते हैं. अंतत: थककर उन्हें भी वेंडर की शरण में जाना पड़ता है. ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए वेंडर 6500 से 8000 रुपये की मांग करते हैं. जबकि लर्नर लाइसेंस बनाने का खर्च लगभग 550 रुपये व ड्राइविंग लाइसेंस का खर्च लगभग 2450 रुपये आता है. वहीं वाहनों के दुबारा पंजीकरण करवाने के लिए वेंडर टैक्स के अलावा 7000 रुपए की मांग करते हैं.वेंडर ने पत्रकार से कहा- हमसे लाइसेंस बनवाइये, टेस्ट भी नहीं देना होगा
रिपोर्टर : हैलो, मुझे लाइसेंस बनवाना है, कई दिनों से स्लॉट बुक करने की कोशिश कर रहा हूं, मगर नहीं कर पा रहा हूं.
वेंडर : आपको नंबर कहां से मिला. रिपोर्टर : मेरे पहचान के व्यक्ति ने आपसे लाइसेंस बनवाया था, उनसे आपका नंबर मिला.वेंडर : अच्छा, ठीक है बन जायेगा. रिपोर्टर : कितने पैसे लगते है, आप कितना लेंगे.
वेंडर : वैसे तो 1500 रुपये लगते हैं, जिसमें 500 स्लॉट बुक करने व 1000 लाइसेंस बनवाने का. रिपोर्टर : नहीं, मुझे सिर्फ स्लॉट बुक करवाना है.वेंडर : जैसी आपकी मर्जी, मगर मेरे साथ जाने पर आपको टेस्ट नहीं देना होगा. रिपोर्टर : नहीं रहने दीजिए, आप सिर्फ स्लॉट बुक कर दीजिए.
वेंडर : ठीक है, ऑफिस के बाजार आकर कॉल करना, पैसा व पेपर दे देना काम कर देंगे.प्रभात खबर के पास वेंडर से बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग है.
क्या कहते है अधिकारी
परिवहन विभाग में सभी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है. किसी भी व्यक्ति को किसी भी वेंडर के चक्कर में आने की जरूरत नहीं है. वेंडर लोगों से अधिक पैसे लेते है. थोड़ी सी जानकारी के अभाव में लोग वेंडर के चक्कर में पड़कर उन्हें पैसा दे देते है. लोग स्लॉट बुक खुद भी कर सकते है. वेंडर के चक्कर में लोग पड़ना बंद कर देंगे, तो अपने आप उनका बाजार खत्म हो जायेगा.दिवाकर सी द्विवेदी,
जिला परिवहन पदाधिकारीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है