धनबाद जिला बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी और जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) की अधिकारी साधना कुमारी की पहल पर चलाये गये खोज अभियान में तीन बच्चों को उनके परिजन मिल गये. इनमें दो बालिकाएं और एक बालक शामिल हैं, जो पहले बालिका गृह, विशेष दत्तक ग्रहण केंद्र और सहयोग विलेज बोकारो में रह रहे थे. वहीं आठ युवतियों को उनके घर भेजा गया. 16 वर्षीय बालिका की पहचान और उसके परिजनों का पता नहीं चल पा रहा था. संबंधित जिले से सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट भी उपलब्ध नहीं थी. सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर डीसीपीओ ने एक टीम गठित की. इसमें प्रीति कुमारी, मदन मोहन महाथा, जूली कुमारी और अमन कुमार के साथ पुलिस बल भी शामिल थे. टीम ने पश्चिम वर्धमान में स्पॉट विजिट कर बालिका की मां और मौसी को खोज निकाला. ग्राम मुखिया की उपस्थिति में बच्ची को परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू की गयी है. दूसरे मामले में धनबाद स्टेशन से रेस्क्यू किये गये 14 वर्षीय नशे के शिकार किशोर को भी उसके परिजन मिल गये. किशोर के पिता उत्तर प्रदेश और माता पश्चिम वर्धमान में रहती है. सीडब्ल्यूसी की पहल पर बच्चे को पश्चिम वर्धमान सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत किया गया. तीसरी बच्ची, जो विशेष दत्तक केंद्र में रह रही थी, पूर्वी वर्धमान की आदिवासी समुदाय से है. पारिवारिक कलह के कारण वह घर छोड़ चुकी थी. बच्ची के मेधावी होने के कारण सीडब्ल्यूसी ने उसे विशेष संरक्षण में रखा था. अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने पूर्वी वर्धमान की सीडब्ल्यूसी की सहायता से उसके परिजनों को खोज निकाला. वहीं निरसा क्षेत्र में बरामद एक बालक के परिजन अब तक नहीं मिल सके हैं. उसके बयान पर टीम आसनसोल तक पहुंची लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल सकी. फिलहाल वह विशेष दत्तक केंद्र में रह रहा है.
आठ युवतियों को भेजा गया घर :
सीडब्ल्यूसी ने शुक्रवार को उन आठ युवतियों को उनके परिजनों को सौंप दिया, जिन्हें हाल ही में तमिलनाडु में मजदूरी के लिए ले जाये जाने के दौरान धनबाद रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू किया गया था. इन आठ युवतियों में से सात नाबालिग हैं. इनमें छह लड़कियां गिरिडीह जिले की रहने वाली हैं, जबकि एक बोकारो और एक धनबाद जिले से संबंध रखती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है