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अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध सशक्त आंदोलन था संताल हूल : कुलपति

170वें हूल दिवस पर सोमवार को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो कुनुल कांडिर की अध्यक्षता में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

हूल दिवस पर एसकेएमयू में भव्य कार्यक्रम आयोजित, देशभक्ति गीतों से छात्र-छात्राओं ने बांधा समा

संवाददाता, दुमका

170वें हूल दिवस पर सोमवार को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो कुनुल कांडिर की अध्यक्षता में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि हिंदी विद्यापीठ देवघर की कुलपति एवं गोटा भारत हूल बैसी की अध्यक्ष डॉ प्रमोदिनी हांसदा उपस्थित रहीं. कार्यक्रम की शुरुआत स्मारक टीले पर स्थित वीर सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई. इसके बाद विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन-2 स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में मुख्य कार्यक्रम आयोजित हुआ. कुलपति प्रो कुनुल कांडिर ने कहा कि हूल दिवस क्षेत्र का सबसे बड़ा और गौरवपूर्ण उत्सव है, जो हमारे स्वाभिमान, जल-जंगल-जमीन और अस्मिता की रक्षा से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि हूल क्रांति अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध सशक्त संगठित आंदोलन था, जिसमें वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहुति देकर संताल परगना की आत्मा को बचाया. उन्होंने कहा कि हूल सेनानियों के अद्वितीय नेतृत्व और संगठन क्षमता के कारण ही आज इस क्षेत्र की जमीन और पहचान सुरक्षित है. उन्होंने विशेष रूप से एसपीटी एक्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कानून यहां की जमीन को सुरक्षित करता है. समाज को इसके प्रति जागरूक रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज भी सामाजिक कुरीतियों और विवि की आंतरिक चुनौतियों के खिलाफ शैक्षिक हूल की आवश्यकता है, जैसे कि नये विषयों की शुरुआत और लॉ कॉलेज की स्थापना. उन्होंने विद्यार्थियों की सहभागिता की सराहना करते हुए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दीं. प्रति कुलपति प्रो बिमल प्रसाद सिंह ने कहा कि किसी भी दिवस को मनाने के पीछे गहरी भावना छिपी होती है. हूल दिवस हमारे अस्मिता और स्वाभिमान की रक्षा में बलिदान देनेवाले वीरों को स्मरण करने का अवसर है. उन्होंने कहा कि यह विद्रोह जमींदारी प्रथा के विरुद्ध अस्मिता की लड़ाई था. उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वे सिदो, कान्हू, चांद, भैरव, फूलो और झानो के पदचिह्नों पर चलें. सामाजिक परिवर्तन और सकारात्मक विकास के लिए जब भी आवश्यकता हो, हूल की भावना से प्रेरित होकर कार्य करना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी.मुख्य अतिथि डॉ प्रमोदिनी हांसदा ने कहा कि पहले हूल दिवस का कार्यक्रम सीमित रूप से आयोजित होता था, लेकिन अब विश्वविद्यालय ने इसे बड़े स्तर पर मनाना शुरू किया है, जो कि अत्यंत प्रेरणादायक है. उन्होंने कहा कि आज संताल गांवों में सिदो-कान्हू की मूर्तियां स्थापित की जा रही हैं, जो यह दर्शाता है कि हूल की चेतना अभी भी जीवित है. उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना को भी हूल क्रांति की प्रेरणा का परिणाम बताया और कहा कि यहां से पढ़े छात्र अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं.

साहूकारों के अन्याय के विरुद्ध हूल का हुआ था आगाज : डीएसडब्ल्यू

इससे पूर्व कुलसचिव डॉ राजीव कुमार ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. क्योंकि विश्वविद्यालय का नाम उन्हीं वीरों के नाम पर है, जिन्होंने हूल क्रांति का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि यह नाम आज भी प्रासंगिक है. क्योंकि यह विश्वविद्यालय संताल परगना की धरती पर स्थित है, जो हूल क्रांति की ऐतिहासिक भूमि रही है. उन्होंने कहा कि हूल केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक विचार है, जो आज भी कुरीतियों, अव्यवस्थाओं और सामाजिक अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है. उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से आग्रह किया कि आगामी एक वर्ष के लिए यह संकल्प लें कि समाज में जहां भी अन्याय हो, वहां हूल की भावना के साथ जागरुकता फैलायें. डीएसडब्ल्यू डॉ जयनेंद्र यादव ने कहा कि हूल दिवस एक महत्वपूर्ण घटना है. यह झारखंड के वीरों की गाथा है. उन्होंने कहा कि यह विद्रोह केवल अंग्रेजों ही नहीं, बल्कि साहूकारों के अन्याय के विरुद्ध था. उन्होंने कहा कि आज भी हमारे सामने भुखमरी, शिक्षा की कमी, पलायन, शहरीकरण, दलित-पिछड़ा विमर्श, आर्थिक दोहन और राजनीतिक भागीदारी की न्यूनता जैसी समस्याएं हैं, जिनके समाधान के लिए हूल की चेतना आवश्यक है. अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं और उनकी पारंपरिक ज्ञान-व्यवस्था को संरक्षित करने के लिए भी हूल की आवश्यकता है. इस अवसर पर विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुनः प्रस्तुति का अवसर दिया गया.

गीत-संगीत से छात्र-छात्राओं ने मोहा मन, मिले पुरस्कार

देवघर कॉलेज की अंशिका झा ने एकल गीत प्रस्तुत किया, जूलॉजी विभाग की पूनम सोरेन ने एकल नृत्य, स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग की छात्राओं ने सामूहिक गीत और भूगोल विभाग की छात्र-छात्राओं ने सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया. अतिथियों द्वारा प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान किए गये. कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा स्निग्धा हासदा और अन्नू मोनिका ने, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ पूनम हेंब्रम ने किया. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी, सभी संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य, सीनेट और सिंडिकेट सदस्य, शिक्षकगण, शिक्षकेतर कर्मचारी और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.

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