आयोजन. सिदो कान्हू चौक से जामा विधायक व वीसी ने जत्थे को किया रवाना
प्रतिनिधि, दुमकागोटा भारोत सिदो कान्हू हूल बैसी द्वारा जोहार मानव संसाधन विकास केंद्र व सहयोगी संस्थाओं के साथ सिदो कान्हू चौक से शहीद ग्राम भोगनाडीह के लिए 105 किलोमीटर की पदयात्रा की शुरुआत गुरुवार को की गयी. यहां अमर शहीद सिदो कान्हू की प्रतिमा में माल्यार्पण के बाद मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों ने पदयात्रियों के जत्थे को रवाना किया. मुख्य अतिथि जामा विधायक डाॅ लुईस मरांडी, विशिष्ट अतिथि सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका की कुलपति प्रो डाॅ कुनूल कांडिर, पुलिस अधीक्षक पीतांबर सिंह खेरवार, पश्चिम बंगाल से आए मार्शल हेंब्रम के द्वारा पदयात्रियोंं को रवाना किया. मौके पर पारंपरिक पाइकाह नृत्य होली फेथ स्कूल हेटकोरोया के छात्रों द्वारा प्रस्तुत किया गया. वहीं सुरजूडीह फूलो झानो कोचिंग सेंटर के किशोर हांसदा ने हूल गीत प्रस्तुत कर उपस्थित सभी को अमर शहीदों के बलिदानों को याद दिलाया. इस कार्यक्रम में बैसी के कार्यकारी अध्यक्ष श्री गमालिएल हांसदा, संयुक्त सचिव नायकी सोरेन, रेड क्रॉस सोसायटी के सचिव अमरेंद्र यादव, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य डाॅ सुशील मरांडी, कोषाध्यक्ष सनातन मुर्मू, एपीपी एलिजाबेथ हेंब्रम, वीना रानी मरांडी, प्रदीप मुर्मू, डाॅ लुसू हेंब्रम , फासोलोमन, जॉन फेलिक्स, मेरीला मुर्मू, इजे सोरेन, मखोदी सोरेन, मनीष किस्कू उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन बैसी के पूर्व सचिव सुलेमान मरांडी ने किया. उल्लेखनीय है कि 2005 से शुरू हुई पदयात्रा का उद्देश्य ऐतिहासिक संताल हूल के दौरान शहीद हुए उन हजारों संताल एवं अन्य स्थानीय लोगों को श्रद्धांजलि देना एवं देश की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर करने की पूर्वजों की अदम्य साहस और इच्छा को सम्मानपूर्वक याद करना है. पदयात्रा के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरुकता फैलाने का संदेश भी दिया जाता रहा है. पदयात्रा के माध्यम से ग्रामीण इलाके के बच्चों को शिक्षा के प्रति लगाव, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित होने के लिए प्रक्रिया की जानकारी, पापरंपरिक कृषि प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए जागरूक करने का कार्य होता रहा है. वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में भी आदिवासी कई तरह से शोषण, अत्याचार और अन्याय का शिकार होने को मजबूर हो रहे रहे हैं. पर सामाजिक एकजुटता की कमी, अशिक्षित होना, जानकारी का अभाव होना, सामाजिक नेतृत्व की कमी, गरीबी जैसे अनगिनत कारण भी है, उन कारणों को संकलन का गहराई से विश्लेषण कर की जरूरत है. तभी हूल के महत्व व मूल्यों को हम समझ पायेंगे. पदयात्रा में सहयोगी संस्था के रूप में अनुसूचित जाति व जनजाति रक्षा समिति, प्रेम संस्था काठीकुंड, होलीफेथ चंद्रपुरा काठीकुंड आदि का महत्वपूर्ण योगदान है.
एसकेएमयू में तीन दिवसीय समारोह की हुई शुरुआत
दुमका. संताल हूल के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए शहीदों के गांव भोगनाडीह के लिए पदयात्रा कर रहे सैकड़ों पदयात्रियों का गुरुवार को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर पारंपरिक और गरिमामय स्वागत किया गया. आयोजन का नेतृत्व कुलपति प्रो कुनुल कांडिर ने किया. हूल दिवस समारोह की औपचारिक शुरुआत भी हो गयी. गुरुवार को दोपहर 11 बजे के करीब सैकड़ों की संख्या में पदयात्री विश्वविद्यालय के आमंत्रण पर पहुंचे. विश्वविद्यालय परिवार से स्वागत पारंपरिक लोटा-पानी की रस्म से किया गया. इसके बाद परिसर में स्थापित वीर शहीद सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. कार्यक्रम का आरंभ कुलगीत और कुलसचिव डॉ राजीव कुमार के स्वागत भाषण के साथ हुआ. जामा विधायक डॉ लुईस मरांडी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं. उन्होंने हूल आंदोलन के शहीदों को स्मरण करते हुए विश्वविद्यालय को प्रतिवर्ष पदयात्रियों का स्वागत करने हेतु आभार प्रकट किया. कहा कि गोटा भारत सिदो कान्हू हुल बैसी संगठन लगातार समाज में जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहा है, जो सराहनीय है. उन्होंने कहा हूल क्रांति हमें आज भी प्रेरणा देती है. ऐसे आयोजन हमें अपने इतिहास से जोड़ते हैं. युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत से परिचित कराते हैं. धन्यवाद ज्ञापन डीएसडब्ल्यू डॉ जैनेंद्र यादव ने किया. यहां डॉ सुजीत सोरेन, डॉ पूनम हेंब्रम, डॉ सुशील टुडू, डॉ बिनोद मुर्मू, डॉ अमित मुर्मू, मनीष जे सोरेन, डॉ. चंपावती सोरेन, स्वेता मरांडी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है