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योग, प्राणायाम व मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता कक्षाएं आयोजित

चतुर्थ झारखंड गर्ल्स बटालियन का वार्षिक प्रशिक्षण शिविर जारी है. डॉ मान्शी सुप्रिया ने बालिकाओं को अन्य सामान्य स्त्री रोग जैसे श्वेत प्रदर, पीसीओडी, यौन संक्रमण आदि के बारे में जागरूक किया.

संवाददाता, दुमका. झारखंड गर्ल्स बटालियन दुमका के वार्षिक प्रशिक्षण शिविर के अंतर्गत प्रातःकालीन सत्र में योग एवं प्राणायाम सत्र का आयोजन किया गया. इस विशेष सत्र का नेतृत्व कमांडिंग ऑफिसर कर्नल अनिल ने स्वयं किया. उन्होंने कैडेट्स को विभिन्न योगासन एवं प्राणायामों का अभ्यास करवाया और योग के शारीरिक व मानसिक लाभों पर प्रकाश डाला. इस सत्र में कर्नल अनिल ने कैडेट्स को ग्रीवा संचालन, ताड़ासन, वृक्षासन, पदहस्तासन, अर्ध चक्रासन, त्रिकोणासन, भद्रासन, वज्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, वक्रासन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, सेतु बंधासन, उत्तान पादासन, अर्ध हलासन एवं पवन मुक्तासन का अभ्यास करवाया. उन्होंने प्रत्येक आसन की विधि, लाभ और सावधानियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी. इसके अतिरिक्त उन्होंने कैडेट्स को कपालभाति, अनुलोम-विलोम, शीतली प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम और उद्गीत प्राणायाम का अभ्यास भी करवाया. इन प्राणायामों के माध्यम से मानसिक शांति, एकाग्रता, भावनात्मक संतुलन और आत्म-नियंत्रण के महत्व को रेखांकित किया गया. सत्र के दौरान कर्नल अनिल ने कैडेट्स को संबोधित करते हुए कहा कि शारीरिक रूप से स्वस्थ और मानसिक रूप से सशक्त होना किसी भी सैनिक के लिए अत्यंत आवश्यक है. योग और प्राणायाम इन दोनों लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होते हैं. उन्होंने नियमित अभ्यास को जीवनशैली का हिस्सा बनाने की अपील की. यह योग सत्र कैडेट्स के लिए अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक रहा, जिससे उन्हें संतुलित जीवन शैली की दिशा में अग्रसर होने की प्रेरणा मिली. शिविर में विशेष स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर मासिक धर्म स्वच्छता और अन्य स्त्री रोगों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गयी. इस अवसर पर दुमका की चिकित्सा पदाधिकारी प्रभारी डॉ वनीता मरांडी और सदर ब्लॉक दुमका की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मान्शी सुप्रिया ने बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित होकर कैडेट्स को मार्गदर्शन प्रदान किया. कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरी बालिकाओं को मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना, सही स्वच्छता के उपायों से परिचित कराना तथा स्त्री रोगों के प्रति जागरूक बनाना था. डॉ वनीता मरांडी ने अपने वक्तव्य में मासिक धर्म से संबंधित सामान्य समस्याओं जैसे पेट दर्द, अनियमितता, संक्रमण, स्वच्छता के अभाव में होने वाली बीमारियों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि मासिक धर्म एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है, जिसे लेकर किसी भी प्रकार की शर्म या झिझक नहीं होनी चाहिए. डॉ मान्शी सुप्रिया ने बालिकाओं को अन्य सामान्य स्त्री रोग जैसे श्वेत प्रदर, पीसीओडी, यौन संक्रमण आदि के बारे में जागरूक किया. उन्होंने इन समस्याओं की पहचान, लक्षण और समय पर चिकित्सा परामर्श लेने की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही उन्होंने बताया कि किशोरावस्था में संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी उतना ही आवश्यक है.

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