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बासुकिनाथ में श्रद्धापूर्वक मनी आदिगुरु शंकराचार्य की जयंती श्रद्धा

बासुकिनाथ में श्रद्धापूर्वक मनी आदिगुरु शंकराचार्य की जयंती

प्रतिनिधि, बासुकिनाथ: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शुक्रवार को बासुकिनाथ में आदि गुरु शंकराचार्य की जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई. मंदिर के पंडित राजू झा के नेतृत्व में धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए. गुरु शंकराचार्य के चित्र पर पुष्प अर्पित कर आरती की गई. इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. भक्तों ने शंकराचार्य के जीवन और उनके दर्शन को याद किया तथा उनके विचारों से प्रेरणा ली. पंडितों ने बताया कि शंकराचार्य को भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है. उन्होंने अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को स्थापित कर सनातन धर्म को नई दिशा दी. समाज में फैली धार्मिक भ्रांतियों को दूर कर उन्होंने सही धार्मिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया. उनका जीवन केवल 32 वर्षों का रहा, लेकिन इस अल्प जीवन में उन्होंने हिंदू धर्म को संगठित और सुदृढ़ किया. आदि गुरु शंकराचार्य को हिंदू धर्म के महान दार्शनिक और धर्मगुरु के रूप में माना जाता है. उन्होंने न केवल अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को स्थापित किया, बल्कि हिंदू धर्म के पुनरुत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पंडितों ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य हमारे आराध्य हैं और हम उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलने के लिए संकल्पित हैं. यह दिन भक्तों को शंकराचार्य के जीवन और उनके दर्शन से प्रेरणा लेने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है. इस अवसर पर मंदिर के पंडित दिवाकर झा, कुंदन पत्रलेख, जितेंद्र झा, धर्मेंद्र झा, सुबोध झा, कुंदन झा, सारंग झा, आशुतोष झा, सुबोध बाबा, कपिलदेव पंडा सहित अन्य अनेक भक्त उपस्थित थे.

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