प्रतिनिधि, दुमका नगर श्री अग्रसेन भवन चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास उमेश शास्त्री ने मंगलवार को दुमका गोवर्धन की महिमा का वर्णन किया. उन्होंने बताया यदि हम गाय को पालते हैं, तो हमारे सभी प्रकार के दुख गोविंद हर लेते हैं. उन्होंने बृजवासियों के संकट हरे थे. उन्होंने बताया कि गो के बर्धन को ही गोबर्धन कहा गया है. इंद्र ने जब जाकर माफी मांगी और कहा कि प्रभु मुझे वृंदावन में ही रहने दो तो प्रभु ने बहुत सुंदर उत्तर दिया कि तुम यहां नहीं रह पाओगे क्योंकि वृंदावन तपोभूमि है, जो ज्यादा सुख में रहते हो. वह यहां नहीं रह पाते हैं. कथा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला का भी वर्णन किया. उन्होंने बताया कि यह कोई साधारण मिलन नहीं था, यह आत्मा और परमात्मा का साक्षात मिलन था. इसमें किसी भी प्रकार की कामवासना नहीं थी. गोपियां जो ऋषियों के रूप में थी, जन्म लेकर आती है. प्रभु का सानिध्य पाती हैं. इसके अलावा उन्होंने प्रभु की मथुरा में की गयी लीला के बारे में भी बताया. भजन गायक द्वारा गीत आई शरद पूनम की रात, रास रचो हे, रास रचो हे…में सभी भक्त झूम उठे.
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