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लीड : उपेक्षित पड़ा है सीएम सचिवालय-सह कैंप कार्यालय

संताल परगना के आमलोगों की समस्याओं के निदान के लिए 26 जनवरी 2006 में पूरे तामझाम से प्रमंडलीय मुख्यालय दुमका में मुख्यमंत्री सचिवालय के कैम्प कार्यालय का शुभारंभ किया गया था.

अनेदखी. शुरू में आये थे तीन मुख्यमंत्री, अब कोई झांकने तक नहीं आता

26 जनवरी 2006 को किया गया था शुभारंभ

एक दशक से नहीं पड़े किसी सीएम के कदमसंवाददाता, दुमका

उपराजधानी में लगभग 20 साल पहले स्थापित मुख्यमंत्री सचिवालय सह कैंप कार्यालय में आज कोई ताकने झांकने तक नहीं पहुंच रहा है. यह वीरान और दशक भर से उपेक्षित पड़ा हुआ है. गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर झंडे फहराने के उत्सवी माहौल में ही भवन की थोड़ी बहुत चमक धमक दिखती है. आज इस जिले के लिए यह मुख्यमंत्री सचिवालय सह कैंप कार्यालय महज दिखावे का ही साबित हो रहा है. उल्लेखनीय है कि संताल परगना के आमलोगों की समस्याओं के निदान के लिए 26 जनवरी 2006 में पूरे तामझाम से प्रमंडलीय मुख्यालय दुमका में मुख्यमंत्री सचिवालय के कैम्प कार्यालय का शुभारंभ किया गया था. मुख्यमंत्री सचिवालय सह कैंप कार्यालय को दुमका में खोले जाने का मकसद यहां मिनी सचिवालय की तर्ज पर अधिकारियों का पदस्थापन करना था, ताकि संताल परगना के आमलोगों की समस्याओं के निदान हो सके और मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाने के लिए रांची न पहुंचना पड़े. बहरहाल, यह सपना साकार नहीं हो पा रहा है. मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में मुख्यमंत्री के रूप में मधु कोड़ा, शिबू सोरेन और रघुवर दास ही पहुंचे थे. पिछले एक दशक में किसी मुख्यमंत्री के कदम नहीं पड़े हैं, जबकि मुख्यमंत्री सचिवालय के कैंप कार्यालय में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और आप्त सचिव के लिए सभी जरूरी सुविधाओं वाले चैंबर बने हुए हैं. कैंप कार्यालय की देखभाल के लिए अनुदेशक और सुरक्षा कर्मी पदस्थापित हैं.

मिनी सचिवालय स्थापित करने का सपना अब भी दूर

दुमका में मिनी सचिवालय बनाने की अब चर्चा होनी बंद हो गयी है. तीन-चार साल पहले इसके लिए विधायक बसंत सोरेन ने आवाज उठायी थी. इसके लिए विजयपुर में जमीन चिह्नित की गयी थी, जो अभी कृषि बाजार समिति के नाम पर है. इस 20.12 एकड़ के भूखंड में से आठ एकड़ भूखंड में मॉडल कॉलेज का निर्माण हो चुका है, शेष 12.12 एकड़ जमीन अभी उपलब्ध है. जानकारी के अनुसार, दुमका में राजभवन, सीएम आवास तथा मंत्रियों के आवास, सरकारी आवासीय भवन समेत अन्य संरचनाएं बनाने का भी प्रस्ताव है. हालांकि इसके लिए अभी कोई प्रयास धरातल पर होता दिख नहीं रहा है. भवन निर्माण विभाग के वास्तुविद चयन समिति ने तीन साल पहले ही इस प्रोजेक्ट के लिए नयी दिल्ली की आर्किटेक्ट कंपनी डीडीएफ कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया था. तब विभाग के संयुक्त सचिव ओनिल क्लेमेंट ओड़ैया ने अभियंता प्रमुख व मुख्य अभियंता को पत्र भेजकर जिला स्तर से चिह्नित की गयी भूमि पर कॉम्प्रिहेंसिव प्लान व डिजाइन तैयार कराने को कहा था. दोनों स्थल काे चिह्नित कर उसका ब्योरा जिलास्तर से राज्य मुख्यालय को उपलब्ध करायी जा चुकी है.

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