आंदोलन का असर. दिन में हाइवा का परिचालन कम करने पर बनी है सहमतिशनिवार देर रात शुरू हुई पचुवाड़ा से दुमका रेलवे साइडिंग तक कोयला की ढुलाई
3 से 4 रैक से ही कोयला की हो पायेगी ढुलाई, पहले 6 से 7 रैक तक हो जाती थी कोयले की ढुलाईकम कोयला की ढुलाई से बिजली उत्पादन में हो सकती है समस्या
काठीकुंड के चांदनी चौक के पास ग्रामीणों ने हाइवा के परिचालन को कराया था बंदसंवाददाता, दुमकासप्ताहभर तक चले आंदोलन के बाद अमड़ापाड़ा के पचुवाड़ा कोल माइंस से दुमका तक कोयला की ढुलाई शुरू हो गयी है. आंदोलन करनेवाले काठीकुंड के ग्रामीणों संग शनिवार देर रात वार्ता हुई थी. चक्का जाम आंदोलन से रेलवे को करीब 15 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान लग चुका है. शनिवार को वार्ता के बाद ही देर रात से कोयले की ढुलाई शुरू हो गयी. हालांकि पहले की तुलना में कोयले की ढुलाई अभी नहीं होगी. सड़क मरम्मत व चौड़ीकरण के बाद ही वाहनों की संख्या बढ़ाई जायेगी. वर्तमान में रात में ही कोयला की ढुलाई करने पर सहमति बनी है. फिलहाल 3 से 4 रैक से ही कोयले की ढुलाई हो पायेगी. पहले 6 से 7 रैक से कोयले की ढुलाई होती थी, पर ग्रामीणों के आंदोलन की वजह से कोयले की ढुलाई धीमी हो गयी. रेलवे अधिकारी के अनुसार कोयले की ढुलाई कम होने से पावर जेनरेट करने में परेशानी होगी. बिजली संकट उत्पन्न हो सकता है. बता दें कि 11 सूत्री मांगों को लेकर 15 जून से काठीकुंड के चांदनी चौक के पास ग्रामीणों ने आंदोलन करते हुए कोयला लोड वाहनों के परिचालन पर पूरी तरह से ठप करा दिया था. चक्का जाम से कोयले की ढुलाई पूरी तरह से ठप हो गयी थी. प्रशासन व डब्ल्यूबीपीडीसीएल की ओर से दिए गए आश्वासनों के बाद ग्रामीणों ने चक्का जाम आंदोलन को समाप्त कर दिया. शनिवार की रात करीब नौ बजे दुमका एसडीएम कौशल कुमार ने विधायक आलोक सोरेन के आवास पर जिला परिषद अध्यक्ष जॉयस बेसरा की उपस्थिति में डब्ल्यूबीपीडीसीएल द्वारा किये गये वादों और सहमत बिंदुओं को धरना स्थल पर मौजूद प्रदर्शनकारियों और ग्रामीणों के समक्ष रखा.
इन मांगों पर कंपनी के साथ बनी सहमति
कंपनी और आंदोलनकारियों के बीच इन मुख्य बिंदुओं पर सहमति बनी, जिनमें से जब तक जर्जर पथों की मरम्मत और चौड़ीकरण शुरू नहीं होती, तब तक कोयला वाहनों का परिचालन केवल रात्रि में की जायेगी. कोयला वाहनों की चपेट में आकर जान गंवाने वाले परिवार को गठित कमेटी के द्वारा आकलन कर अधिकतम 10 लाख रुपये तक का मुआवजा, कोयला वाहनों से घायल लोगों को भी कमेटी के माध्यम से आकलन कर उचित मुआवजा और समुचित चिकित्सा उपलब्ध कराने, कंपनी द्वारा हादसा संभावित प्रमुख स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे और स्ट्रीट लाइटें लगाने, कोल रूट पर आपात स्थिति में सहायता के लिए सीएसआर फंड से एम्बुलेंस की व्यवस्था करने, डीएमएफटी फंड का सर्वाधिक उपयोग काठीकुंड और शिकारीपाड़ा जैसे प्रभावित क्षेत्रों के विकास कार्यों में उपयोग करने, कोयला ढुलाई और ट्रांसपोर्ट कार्यों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने, रोड गार्ड में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने को लेकर आश्वस्त किया गया है.
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