संवाददाता, दुमका. इस्कॉन द्वारा आयोजित भव्य रथ यात्रा के पश्चात, भगवान श्रीजगन्नाथ के मौसीबाड़ी में दूसरे दिन भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा. सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें भगवान के दर्शन और सेवा हेतु मंदिर परिसर में देखने को मिलीं. यह दिन संपूर्ण रूप से भक्ति, कीर्तन और आध्यात्मिक गतिविधियों से भरा रहा. दिन की शुरुआत मंगल आरती से हुई, जो प्रातः 4:30 बजे सम्पन्न हुई. इसके पश्चात तुलसी आरती और भावपूर्ण जप सत्र चिंतन-ध्यान का आयोजन हुआ. जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी के दिव्य दर्शन खुले, तो दर्शन आरती एवं गुरु पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने हर्षोल्लास से भाग लिया. इसके बाद सत्यवाक प्रभु ने भगवान श्रीजगन्नाथ की कथा का सुंदर और सरल शब्दों में वर्णन किया. उन्होंने बताया कि कैसे भगवान स्वयं भक्तों के प्रेम में बंधकर रथ पर आरूढ़ होकर नगर भ्रमण करते हैं. साथ ही उन्होंने भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद के जीवन और उनके द्वारा स्थापित संस्था इस्कॉन के उद्देश्य को भी विस्तार से समझाया. उन्होंने बताया कि श्रील प्रभुपाद ने पूरी दुनिया में भगवान के पवित्र नाम का प्रचार कर लाखों लोगों के जीवन को आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर किया. श्रीमद्भागवत कथा का भी विशेष सत्र हुआ, जिसमें भागवताचार्य ने भगवान के अद्भुत लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान से आलोकित किया. दोपहर में भगवान को भोग अर्पण करते हुए राजभोग आरती सम्पन्न हुई. तदुपरांत दोपहर और संध्या में क्रमशः धूप आरती, संध्या तुलसी आरती, तथा रात्रि में गौर आरती और अंत में शयन आरती की भव्य व्यवस्था की गई. इस विशेष दिन को और भी रंगमय बनाया विकास विद्यालय दुमका के बच्चों ने, जिन्होंने शास्त्रीय संगीत और नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया. सांस्कृतिक कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण “गौरांग लीला” रही, जिसमें श्री चैतन्य महाप्रभु की अद्भुत लीलाओं का मंचन भावपूर्ण ढंग से किया गया और दर्शकों को भक्ति भाव में सराबोर कर दिया. प्रतिभागियों को इस्कॉन की ओर से मेडल्स प्रदान किए गए. पुरस्कार वितरण इस्कॉन अनुयायियों में अशोक आत्मा ब्रजेश दास, मनोज कुमार नाग एवं राजेश कुमार सिंह द्वारा किया गया. इस पूरे कार्यक्रम का संचालन और मंच उद्घोषणा पूजा मिश्रा एवं नवीन मिश्रा द्वारा अत्यंत कुशलता से किया गया. पूरे दिन भगवान के जयकारों, हरिनाम संकीर्तन और भक्तों के भक्ति रस में डूबे चेहरे यह बता रहे थे कि यह कोई साधारण दिन नहीं, बल्कि भगवान की विशेष कृपा का उत्सव है.
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