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स्कूल-कॉलेजों में लाइब्रेरियन की बहाली की मांग

झारखंड प्रशिक्षित पुस्तकालय संघ की बैठक में जुटे पूरे संताल परगना के युवा

झारखंड प्रशिक्षित पुस्तकालय संघ की बैठक में जुटे पूरे संताल परगना के युवा युवाओं ने कहा: 2023 में भर्ती के लिए लिये गये एक-एक हजार रुपये शुल्क संवाददाता, दुमका. झारखंड प्रशिक्षित पुस्तकालय संघ के द्वारा सेंट्रल लाइब्रेरी दुमका के परिसर में बैठक आहूत की गई. इस बैठक में दुमका, पाकुड़, जामताड़ा, बरहरवा, गोड्डा के छात्र-छात्राओं एवं युवाओं ने भाग लिया और अपनी बातों को रखा. एक स्वर में सभी ने कहा कि राज्य बनने के इन 24 वर्षों में अब तक एक बार भी लाइब्रेरियन की बहाली सरकार नहीं कर पाई है. पुस्तकालय व्यवस्था को सरकार के स्तर पर नजरअंदाज किया गया है. झारखंड के साथ बने अन्य राज्यों में इसकी बहाली प्रक्रिया चल रही है. बैठक में प्रस्ताव पारित करते हुए मुख्य रूप से जिन मांगों पर विशेष रूप से चर्चा की गई, उनमें झारखंड में पुस्तकालय अधिनियम लागू कराना, पुस्तकालय से जुड़े पदों का सृजन विद्यालय स्तर पर कराना, सभी सार्वजनिक पुस्तकालयों में नियम के तहत बहाली करना, विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं वैसे सभी प्रकार के संस्थानों में जहां पर पुस्तकालयाध्यक्ष का पद रिक्त है, वहां बहाली निकाले जाने की मांग शामिल है. युवाओं ने इस बात पर रोष जताया कि जेईपीसी के द्वारा सीएम एक्सीलेंस स्कूलों में मई 2023 में संविदा के आधार पर लाइब्रेरियन भर्ती फॉर्म में 1000 रुपये शुल्क लेकर भरवाया गया, लेकिन प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई है. तय किया गया कि अपनी मांगों के लिए वे राजभवन एवं शिक्षा विभाग के सचिव का ध्यान आकृष्ट कराएंगे. इसके लिए संताल परगना सहित पूरे झारखंड में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा. सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से लाइब्रेरियन की बहाली को लेकर सरकार तक अपनी भावनाओं को अवगत कराने की पहल की जाएगी. जामताड़ा स्थित ग्रामीण पुस्तकालय में नियम के अनुसार लाइब्रेरियन की बहाली कराए जाने सहित आगामी कई विषयों और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई. यह भी तय हुआ कि जिस प्रकार बिहार में लाइब्रेरियन की बहाली को लेकर सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन हुआ, ठीक वैसा ही आंदोलन झारखंड में किया जाएगा. बैठक में विवेक कुमार, जतिन कुमार, प्रगति भारती, संदीप, क्रिस्टीना, शिखा झा, अनुराधा साक्षी, प्रवीण, राज, अमन, रीमा कुमारी, इमरान, नूर, जाहिर, सौरभ दे, यूनेस, उमेश, राकेश, सचिन, नकुल, रतन, सचिन नंदी, निर्मल, पप्पू, बबलू, सौरभ सिन्हा, सनोती मुर्मू, एवनिकी टुडू, माधव, राजू आदि ने एक स्वर में अंतिम लड़ाई तक संघर्षरत रहने का आह्वान किया.

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