बासुकिनाथ. बिहार का रहने वाला लगभग आठ वर्ष का राहुल अपनी मां से मेला क्षेत्र में बिछड़ गया था. उसकी मां काफी परेशान थी. इसकी सूचना उन्होंने सूचना सहायता शिविर में दी. सूचना सहायता कर्मियों की मदद से बहुत ही कम समय में बच्चे को ढूंढ कर मां को सौंप दिया गया. मां अपने बच्चे को गले लगाकर रोने लगी. बच्चा अपनी मां की गोद में पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर रहा है. यह दृश्य न केवल मां-बेटे के प्रेम को दर्शाता है, बल्कि प्रशासन द्वारा मेला में की गयी व्यवस्था की भी सराहना करता है. सूचना सहायता कर्मी दिन-रात श्रद्धालुओं की सेवा में लगे हुए हैं.
1600 से अधिक श्रद्धालुओं को परिजनों से मिलाया :
सूचना सहायता शिविर द्वारा अब तक 1600 से अधिक बिछड़े श्रद्धालुओं को उनके परिजनों से मिलाया जा चुका है, जिनमें पहली सोमवारी को ही 400 से अधिक कांवरिये शामिल हैं. पीआरडी, दुमका द्वारा 100 से अधिक सूचना सहायता कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है, जो मेला क्षेत्र में विभिन्न शिविरों में कार्यरत हैं. ये कर्मी बिछड़े श्रद्धालुओं की जानकारी जैसे नाम, पता, मोबाइल नंबर और वेशभूषा दर्ज कर उसे सोशल मीडिया, ध्वनि विस्तारक यंत्रों, एलईडी टीवी व एलईडी वॉल्स के माध्यम से प्रसारित करते हैं. मेला क्षेत्र में 150 से अधिक एलईडी टीवी और 15 से अधिक एलईडी वॉल्स लगाए गए हैं. जब तक परिजन नहीं मिलते, तब तक सूचना लगातार प्रसारित की जाती है. यह प्रणाली तकनीकी और भावनात्मक दोनों दृष्टिकोण से बेहद प्रभावी साबित हो रही है.
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