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खूबसूरत टेराकोटा मंदिरों से सजा है झारखंड के इस गांव का इतिहास

Jharkhand Tourism: दुमका के मलूटी गांव में स्थित टेराकोटा मंदिरों का समूह हर साल हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित इन मंदिरों से पूरा गांव घिरा हुआ है. इन मंदिरों की प्राचीन वास्तुकला खूबसूरती की मिसाल है.

Jharkhand Tourism: झारखंड राज्य प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों से समृद्ध है. यहां कई ऐसे प्राचीन धार्मिक स्थल हैं, जो पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है. राज्य के इन्हीं दर्शनीय स्थलों में से एक है, दुमका का मलूटी मंदिर. यह मंदिर दुमका के मलूटी गांव में स्थित है, जिसे मंदिरों का गांव भी कहा जाता है. यहां अनेक मंदिरों का समूह है, जिसमें कई देवी-देवताओं का वास है. ऐसा माना जाता है कि मां मौलिक्षा यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करती है.

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आकर्षक है टेराकोटा मंदिरों का समूह

मलूटी गांव का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व काफी समृद्ध है. यहां स्थित टेराकोटा मंदिरों के समूह के कारण इसे मंदिरों का गांव भी कहा जाता है. इन मंदिरों की उत्कृष्ट स्थापत्य कला लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. हर साल बड़ी संख्या में लोग मलूटी मंदिर में मां मौलिक्षा का आशीष लेने आते हैं. प्राचीन काल में बने ये मंदिर अद्भुत वास्तुकला की मिसाल है. यह मंदिर राजधानी रांची से महज 340 किलोमीटर दूर है, जहां आप ट्रेन या निजी वाहन से जा सकते हैं.

क्या है मलूटी मंदिर का इतिहास

झारखंड की उप राजधानी दुमका के मलूटी गांव में स्थित 108 मंदिरों के समूह को “मलूटी मंदिर” के नाम से जाना जाता है. हालांकि, वर्तमान में 108 में से केवल 72 मंदिर ही बचे हैं, बाकि के मात्र अवशेष बच गये हैं. इस मंदिर समूह का इतिहास सालों पुराना है. कहा जाता है कि यहां 1720 ई में राजा राखड़चंद्र राय ने सबसे पहला मंदिर बनवाया था. फिर राजा बाज बसंत के वंशजों ने मलूटी में अन्य मंदिरों का निर्माण करवाया. यहां गांव के चारों ओर विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर हैं. पूरा गांव भगवान विष्णु, मां काली, मां दुर्गा, मनसा देवी, भगवान शिव, मां मौलिक्षा देवी सहित अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों से घिरा हुआ है.

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मां मौलिक्षा पूरी करती है भक्तों की मनोकामना

जानकारी के अनुसार, मलूटी में स्थित मां मौलिक्षा मंदिर का पर्यटकों के बीच विशेष महत्व है. काफी दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा करने आते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां मौलिक्षा के धाम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मन्नत मां जरूर पूरी करती है. इसी कारण हर साल हजारों की संख्या में भक्त मां के दर्शन-पूजन के लिये मलूटी आते हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, कहा जाता है कि मां मौलिक्षा, मां तारा की बड़ी बहन हैं. गौरतलब, बात है कि मां तारा का प्रसिद्ध मंदिर ‘तारापीठ’, जो पश्चिम बंगाल का मशहूर पर्यटन और धार्मिक स्थल है. वो इस मंदिर से मात्र 10 से 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. दुर्गा पूजा के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मलूटी मंदिर आते हैं.

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Rupali Das
Rupali Das
नमस्कार! मैं रुपाली दास, एक समर्पित पत्रकार हूं. एक साल से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं. यहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पहले दूरदर्शन, हिंदुस्तान, द फॉलोअप सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी काम करने का अनुभव है.

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