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गोड्डा के लिए सबसे अधिक 7250, दुमका के लिए सबसे कम 250 क्विंटल बीज आवंटित

खरीफ के माैसम के लिए राज्य की सरकार ने धान समेत अन्य फसलों के लिए प्रमाणित बीज की आवश्यकता का आकलन कर देश की प्रतिष्ठित बीज आपूर्तिकर्ता संस्था को आवंटन के लिए पत्र भेज दिया है. संताल परगना में धान के लिए प्रमाणित बीज के तौर पर 16750 क्विंटल बीज उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा गया है

धान की खेती. 50 प्रतिशत अनुदान पर मिलेंगे बीज, राज्य सरकार ने जिलावार आवंटन किया तय

आनंद जायसवाल, दुमकाखरीफ के माैसम के लिए राज्य की सरकार ने धान समेत अन्य फसलों के लिए प्रमाणित बीज की आवश्यकता का आकलन कर देश की प्रतिष्ठित बीज आपूर्तिकर्ता संस्था को आवंटन के लिए पत्र भेज दिया है. संताल परगना में धान के लिए प्रमाणित बीज के तौर पर 16750 क्विंटल बीज उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा गया है, जिसमें दुमका के लिए सबसे कम महज 250 क्विंटल बीज का आवंटन भेजा गया है, जबकि देवघर के लिए 950, जामताड़ा के लिए 2300, गोड्डा के लिए 7250, पाकुड़ के लिए 1750 तथा साहिबगंज के लिए 4250 क्विंटल बीज उपलब्धे कराने को कहा गया है. इस बार भी पिछले साल की ही तरह ही 50 प्रतिशत अनुदान पर बीज किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा. एमटीयू 7029 के लिए 3900 रुपये प्रति क्विंटल दर निर्धारित है, जिसे लेने के लिए किसानों को 1950 रुपये देना होगा, जबकि शेष 50 प्रतिशत राशि यानी 1950 रुपये अनुदान की होगी, जिसे सरकार वहन करेगी. इसके अलावा एमटीयू 1010 प्रभेद के धान बीज 4200 रुपये के 50 प्रतिशत अनुदान पर 2100 रुपये में, IR 64 DRT-3990 रुपये क्विंटल, IR 64 4200 रुपये क्विंटल, सहभागी-4500 रुपये क्विंटल, राजेंद्र मंसूरी 3900 रुपये क्विंटल तथा सावा 7301 प्रभेद के बीज 42700 रुपये के 50 प्रतिशत मूल्य पर उपलब्ध होगा. क्या-क्या है शर्त- बीज अभिसंस्करण संयंत्र में प्रोसेस प्रमाणित बीज हो व भौतिक व अनुवांशिक शुद्धता मानक स्तर की हो.

– बीज के बैग में उत्पादक का लेबल व सील अवश्य हो. बीजापचारे के लिए आवश्यक मात्रा में कवकनाशी अवश्य रहे.

– आवंटित बीज मात्रा में से कम से कम 25-30 प्रतिशत बीज एफपीओज को उपलब्ध करारयी जाये.

– आपूरित बीज के अनुदान का भुगतान सरकार बीज परीक्षण प्रयोगशाला से मानक प्रतिवेदन प्राप्त होने पर किया जायेगा.

– बीज अमानक होने की स्थिति में आपूर्तिकर्ता को वापस लेना होगा और समरूप बीज की मात्रा उपलब्ध करानी होगी.

– आपूर्तिकर्ता कृषक अंशदान के समतुल्य राशि प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर जिलों में हर हाल में बीज उपलब्ध करा देंगे.

यह है दुमका के लिए कम बीज आवंटन की वजह

पूरे राज्य में सबसे कम दुमका के लिए विभाग ने राष्ट्रीय बीज निगम को महज 250 क्विंटल ही धान के प्रमाणित बीज के आवंटन के लिए लिखा है, जबकि राज्य में सबसे अधिक गोड्डा के लिए 7250 क्विंटल धान बीज उपलब्ध कराने के लिए आवंटन भेजा गया है. यहीं नहीं पाकुड़ के लिए 1750, देवघर के लिए 950 व जामताड़ा के लिए 2300 क्विंटल तथा साहिबगंज के लिए 4250 क्विंटल बीज का आवंटन मांगा गया है. दुमका के लिए कम बीज आवंटन का मतलब यह नहीं है कि यहां बीज की मांग नहीं है. यहां बीज की मांग भी है. संताल परगना के अन्य पांच जिलों की अपेक्षा खेती भी सबसे अधिक होती है. दरअसल, यहां के लैंपस संचालक पूंजी नहीं लगा पाते. ऐसे में इन इलाके के किसान बाजार से महंगे बीज खरीदने को मजबूर होते हैं. अनुदान का लाभ भी नहीं ले पाते. दूसरे जिले में लैंपस संचालक की सक्रियता और दिलचस्पी दोनों ही दिखती है. ऐसे में वे बीज के लिए किसानों के अंशदान वाली राशि का ड्राफ्ट लगाने में आगे रहते हैं.

धान के प्रभेद-दुमका-देवघर-जामताड़ा-गोड्डा-पाकुड़-साहिबगंज

एमटीयू 7029-000-200-1700-7000-1500-4000

एमटीयू 1010-000-200-200-000-000-000-000

IR 64 DRT-100-100-100-100-100-100-100

IR 64 -100-100-100-100-100-100

सहभागी-000-100-150-000-000-000

राजेंद्र मंसूरी-000-200-000-000-000-000

सावा 7301-050-050-050-050-050-050कुल-250-950-2300-7250-1750-4250

अन्य बीज -दुमका-देवघर-जामताड़ा-गोड्डा-पाकुड़-साहिबगंज

अरहर IPA 203-50-50-100-50-50-50

रागी VL 379-50-50-50-50-50-25

जौ RD 2794 -20-20-20-20-20-20

मक्का DHM117-50-50-50-50-50-50

मक्का DMRH 1301-50-50-25-50-25-50

मक्का DHM 121-50-50-25-50-25-50

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50 प्रतिशत अनुदान पर मिलेंगे ये धान बीज

धान के प्रभेद-स्वीकृत दर प्रति क्विंटल-अनुदान की राशि-कृषक अंशदान

एमटीयू 7029-3900-1950-1950एमटीयू 1010-4200-2100-2100IR 64 DRT-3990-1995-1995IR 64-4200-2100-2100सहभागी-4500-2250-2250राजेंद्र मंसूरी-3900-1950-1950सावा 7301-42700-21350-21350

मौसम पूर्वानुमान पर आधारित किसानों को सलाह

कृषक वैज्ञानिकों ने मौसम पूर्वानुमान को देखते हुए किसानों को सलाह दी है कि वे खरीफ फसलों के लिए खेत तैयार करें. क्योंकि आनेवाले दिनों में पर्याप्त मात्रा में बारिश होने की संभावना है. मौसम साफ होने तक पकी हुई फसल की कटाई का इंतजार करें. किसानों को बारिश के बाद मिट्टी को प्राकृतिक/भूसे की गीली घास से ढंक देना चाहिए. मौजूदा मिट्टी की नमी को संरक्षित करने के लिए खेत की मेड़ को मजबूत कर देनी चाहिए. इस समय किसान खाली पड़े खेतों की जुताई ढाल के विपरीत दिशा में करें. खेत के मेढ़ों को दुरुस्त कर लें, वर्षा जल संचयन के लिए अपने खेत के निचले भाग में छोटे-छोटे गढ्ढे (डोभा) का निर्माण करें, फल या लकड़ी के पौधे लगाने के लिए गड्ढ़ों की खोदाई करें, मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए हरी खाद वाली फसल की बुआई करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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