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240 नीड बेस्ड व बीएड के 33 शिक्षकों की करायी बहाली, सात नये डिग्री कालेजों में शुरू कराया पठन-पाठन

पूर्व कुलपति प्रो सोनाझारिया मिंज का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कुलपति का पद करीब दो वर्षों से प्रभार में चल रहा था. प्रभारी कुलपति के रूप में प्रो बिमल प्रसाद सिंह ने कराए कई महत्वपूर्ण काम.

दुमका. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के लिए मंगलवार को राजभवन की ओर से प्रो (डॉ) कुनुल कंदीर को नया कुलपति नियुक्त कर दिया गया है. पूर्व कुलपति प्रो सोनाझारिया मिंज का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कुलपति का पद करीब दो वर्षों से प्रभार में चल रहा था, जिसे विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो बिमल प्रसाद सिंह ने कुशलता से संभाला. प्रभार में होने के बावजूद प्रो सिंह के नेतृत्व में इन दो वर्षों में विश्वविद्यालय ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं. कोविड-19 के कारण बाधित शैक्षणिक सत्रों को नियमित करने में अहम भूमिका निभायी और लगभग 300 परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित कर समय पर रिजल्ट जारी किए गए. मूल्यांकन प्रक्रिया को केंद्रीकृत कर उत्तर पुस्तिकाओं की जांच तेज़, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से करायी. परीक्षाओं को समयबद्ध और व्यवस्थित बनाने के लिए प्रश्नपत्र निर्माण की प्रक्रिया को भी केंद्रीकृत किया गया. शिक्षकों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय कर उन्हें प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्यों में शामिल किया गया. इससे छात्रों की सुविधा के लिए प्रमाण पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज अब एक ही दिन में उपलब्ध कराए जाने लगे हैं. बायोमीट्रिक उपस्थिति अनिवार्य करायी, जिससे कार्य प्रणाली में अनुशासन आया. शोध के क्षेत्र में भी कई नए कदम उठाए गये. दर्जनों सेमिनार, कार्यशालाएं और सम्मेलन आयोजित हुए और करीब 200 पीएचडी शोधार्थियों का पंजीकरण हुआ. जेआरएफ फेलोशिप भी मिलने लगी. शोध कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्लेगरिज्म जांच अनिवार्य की गयी और हर तीन महीने में शोध प्रगति रिपोर्ट जमा करने की व्यवस्था की गयी. शोध गंगा और शोध गंगोत्री पोर्टल पर थीसिस और सिनॉप्सिस अपलोड करना भी जरूरी किया गया. शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए 240 आवश्यकता आधारित शिक्षकों और बीएड विभाग में 33 शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. नयी शिक्षा नीति 2020 को प्रभावी रूप से लागू किया गया, जिससे छात्रों को बहुविषयक शिक्षा, कौशल विकास और व्यावहारिक प्रशिक्षण का लाभ मिला. एकेडमिक भवन के सामने ओपन थिएटर बनाया गया. सात नए डिग्री कॉलेजों में पढ़ाई शुरू हुई. परिसर में सुविधा केंद्र की स्थापना की गयी. तीन स्नातकोत्तर विभागों को दिग्घी परिसर में स्थानांतरित किया गया और गोड्डा कॉलेज में संताली भाषा में पीजी कोर्स की शुरुआत की गयी. इतना ही नहीं कई पाठ्यक्रमों के सिलेबस को अपडेट कर उन्हें समयानुकूल बनाया गया. अब जबकि नया कुलपति नियुक्त हो चुका है, उम्मीद की जा रही है कि विश्वविद्यालय की यह सकारात्मक यात्रा जारी रहेगी और उच्च शिक्षा का स्तर और ऊपर उठेगा.

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