Success Story of Babita Paharia: झारखंड के सामाजिक, प्रशासनिक और शैक्षणिक विकास की असली विजेता वे बेटियां हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी. उम्मीद और मेहनत को अपना साथी बनाया. फिर सफलता हासिल की. आज हम पहाड़िया आदिम जनजाति की एक बेटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपका भी दिल छू ले लेगी. उसकी सफलता पर आपको भी गर्व होगा.
आदिवासी युवाओं का रोल मॉडल बन सकती है बबीता
पहाड़िया जनजाति की इस बेटी का नाम है- बबीता पहाड़िया. बबीता पहाड़िया की सफलता आने वाले समय में पहाड़िया जनजाति के साथ-साथ झारखंड की अन्य जनजातियों के लिए अवसरों के द्वार खोल सकता है. बबीता पहाड़िया आदिवासी युवाओं के लिए रोल मॉडल बन सकती है. उसने साबित कर दिया है कि सपनों को साकार करने की राह आसान नहीं, लेकिन मुसीबतों से लड़ने का हौसला हो, तो कोई मंजिल दूर भी नहीं.
JPSC 2023 में बबीता को मिली 337वीं रैंक
झारखंड के सुदूरवर्ती दुमका जिले के एक छोटे-से गांव में जन्मी बबीता पहाड़िया ने न केवल अपने परिवार, बल्कि आदिम जनजाति पहाड़िया समाज का नाम भी रोशन किया है. उसके पिता स्कूल में हेल्पर और मां गृहिणी हैं. बबीता ने कभी बंगले का सपना नहीं देखा. उसने समाज सेवा और शिक्षा की अलख जगाने की सोची थी. अभावों और सामाजिक चुनौतियों के बीच बबीता ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) 2023 की परीक्षा में 337वीं रैंक प्राप्त कर पूरे राज्य में मिसाल कायम की है.
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Success Story of Babita Paharia: शादी करने से कर दिया इनकार
बचपन से ही बबीता के सामने मुश्किलों का पहाड़ था. गांव में पक्की सड़क नहीं, पीने का पानी तक नहीं. ऐसे माहौल में पढ़ाई करना अपने आप में एक जंग थी. आर्थिक तंगी के चलते माता-पिता ने बबीता को जल्दी शादी करने के लिए कहा, लेकिन बबीता ने साफ कहा कि जब तक सरकारी नौकरी नहीं मिलती, वह शादी नहीं करेगी. बबीता ने स्मार्टफोन और इंटरनेट को हथियार बनाया. YouTube और Google की मदद से पढ़ाई की और अब डिप्टी कलक्टर बनने जा रही है.
मिठाई खरीदने के नहीं थे पैसे, चीनी से मां ने मुंह मीठा कराया
जेपीएससी का रिजल्ट आया, तो बबीता के परिवार के पास मिठाई खरीदने तक के पैसे नहीं थे. ऐसे में मां ने इतनी बड़ी सफलता हासिल करने वाली बेटी का चीनी खिलाकर मुंह मीठा करवाया. बबीता चाहती है कि उसकी सफलता से पहाड़िया समाज के लोग प्रेरणा लें. पहाड़िया जानजाति की बेटियां आगे बढ़ें.
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