संकट. संवेदक कंपनी ने परिवहन खर्च बचाने के लिए बनाया था अस्थायी पुल
एक-डेढ़ दशक से पुल निर्माण की मांग कर रहें लोगों को हो रही थी सहूलियतप्रतिनिधि, दलाही
प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र में शीला नदी बहती है, जो देवघर के कई गांव को लाभान्वित करते हुए दुमका जिला के डुमरिया, गाड़ापाथर, घुरमुंदनी, कुरुवा होते हुए जामताड़ा जिला में बहनेवाली अजय नदी में मिल जाती है. शीला नदी अपने सफर में आसपास बसे सैंकड़ों गांवों की प्यास बुझाती है. लेकिन नदी को पार कर शहर या कस्बे जाने के लिए कई गांव के लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ता है. खासकर बरसात में. प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र में गुमरो मसलिया से मोड़ से असना मोड़ जिला देवघर की दूरी वर्तमान समय में गाड़ापाथर पुल होते हुए 14 किलोमीटर है. लेकिन घुरमुंदनी मौजा में अगर शीला नदी पर पुल का निर्माण हो जाये, तो दूरी घटकर लगभग 9 किलोमीटर ही रह जायेगी. मसलिया के असना मोड़ होते हुए देवघर, जामताड़ा, मधुपुर, गिरिडीह आदि जगहों में रोज लोगों का आना-जाना लगा रहता है. घुरमुंदनी गांव के ग्राम प्रधान महेंद्र मंडल ने कहा गुमरो से घासीमारनी (फतेहपुर) भाया गाड़ापाथर सड़क पथ निर्माण विभाग द्वारा बनाया जा रहा है, जिसकी लंबाई 20 किलोमीटर है.नदी में मिट्टी भरकर बनाया गया था पुल
पथ निर्माण विभाग के संवेदक सड़क निर्माण की सामग्री को ढोने के लिए घुरमुंदनी में शीला नदी पर मिट्टी भरकर अस्थायी रूप से पुल बनाया गया था, जो पानी में बह गया. संवेदक ने इस नदी पर आवागमन के लिए अपनी ओर से अस्थायी व्यवस्था की थी कि दूरी घटने से उनकी लागत कम बैठ रही थी. भले ही संवेदक एजेंसी का इसमें अपना स्वार्थ रहा, लेकिन लाभ ग्रामीणों को हो रहा था. वे राहत भी महसूस करने लगे थे. लोगों की माने तो उन्हें यह आशंका थी कि यह अस्थायी मिट्टी का पुल बरसात आते ही बह जाएगा. हुआ भी वही, जिस बात का डर था. डायवर्सन के तौर पर बना मिट्टी का पुल बीती बह गया. ग्रामीण देखते ही रह गए.क्या कहते हैं ग्रामीण
एक दशक से हमलोग मांग उठाते रहे हैं कि घुरमुंदनी मौजा में शीला नदी पर पुल बन जाये, जिससे देवघर जिला से संपर्क हो पायेगा. आने-जाने में सुविधा होगी.रथु पहाड़ियाबारिश में दिक्कत होती है. चार किलोमीटर दूर गाड़ापाथर से घूमना पड़ता है. विकास की गति आवागमन के सुगम साधन पर ही निर्भर करता है.
छुटु पहाड़ियापुल बनने से न केवल आम जन बल्कि किसानों को भी खूब राहत होगी. वे अपने उत्पाद व उपज यथा सब्जी, धान, मकई इत्यादि बाजार तक पहुंचाने में सुविधा होगी. गाड़ापाथर गांव का रास्ता संकरा रहने के कारण चलने में भय लगता है.जयदेव मंडलघुरमुंदनी-मसलिया से देवघर जाने के लिए यह कम दूरी वाला रास्ता है. पुल के बनने से देवघर,मधुपुर जाने के लिए दूरी कम तथा काफी सुविधा होगी.
महेंद्र मंडलडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है