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काठीकुंड के ग्रामीण सड़कों की बदहाली, बरसात में और बिगड़ेंगे हालात

कई स्थानों पर आज तक पक्की सड़कें नहीं पहुंची हैं. ऐसे में ग्रामीणों के लिए दैनिक आवागमन के साथ-साथ आवश्यक सेवाओं तक पहुंचना भी कठिन होता है.

काठीकुंड. दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड अंतर्गत कई गांवों को जोड़ने वाली ग्रामीण सड़कों की स्थिति अत्यंत जर्जर हो चुकी है. वर्षों से इन मार्गों की मरम्मत नहीं हुई है, न ही नयी सड़कों के निर्माण को लेकर कोई ठोस कार्रवाई दिखायी दे रही है. कई सड़कों पर पक्कीकरण जर्जर हो चुका है, तो कई स्थानों पर आज तक पक्की सड़कें नहीं पहुंची हैं. ऐसे में ग्रामीणों के लिए दैनिक आवागमन के साथ-साथ आवश्यक सेवाओं तक पहुंचना भी कठिन होता है. बालीजोर गांव से नयाडीह पेट्रोल पंप वाया झिली तक की सड़क कुछ दूर तक पक्की जरूर है, लेकिन वह पथरीली हो चुकी है और आधी सड़क पूरी तरह कच्ची है. इसी तरह मकड़ाचापड़ से कादरमारा तक जाने वाली ग्रामीण पक्की सड़क पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. मंगलपुर से कदमा, सुरुआपानी से कुलकाठ, बालीडीह से बड़ा चापुड़िया होते हुए बड़ा भुईभंगा और मयूरनाच गांव की ओर जाने वाली सभी प्रमुख ग्रामीण सड़कें लंबे समय से बदहाल पड़ी हैं. बाघाशोला से चंद्रपुरा की ओर जाने वाली सड़क की स्थिति भी बेहद खराब है, जबकि झिली भंवरपाथर होते हुए फिटकोरिया तक की सड़क का आज तक पक्कीकरण नहीं हो पाया है. भंवरपाथर और फिटकोरिया के बीच नदी पर पुल की भी सुविधा नहीं है, जिसकी टेंडर प्रक्रिया में होने की बात ग्रामीण महीनों से सुनते आ रहे हैं. हर साल बारिश के मौसम में इन सड़कों की हालत और भी गंभीर हो जाती है, जिससे ग्रामीणों का गांव से निकलना तक मुश्किल हो जाता है. प्रखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बसे खिलौड़ी, शिखरपाड़ा, बेलबुनी और मोहुलपहाड़ी जैसे गांव में आज भी पक्की सड़कें नहीं पहुंच पायी है. इन इलाकों के लोग आज भी पैदल पगडंडियों के सहारे, जोखिम उठाते हुए बाहर आते-जाते हैं. सरसाबाद से फुलझिंझरी तक की सड़क कहीं पक्की है तो कहीं पूरी तरह उखड़ चुकी है. वहीं अन्य भाग अब भी कच्चे रास्ते हैं. लकड़ापहाड़ी से सुल्तानाबाद, शहरीटोला से कोंडरापहाड़ी, बामरझाटी से रायबांध, तिलाईटाड़ से चरकापाथर, चकमुहां से नूनाडंगाल होते हुए सिजुआदुम, रानीपहाड़ी-पीडब्ल्यूडी रोड से पहाड़िया टोला, जामचुआं से केंदपहाड़ी और कुमिरकट्टा से मोहुलपहाड़ी को जाेड़ने वाली सड़कों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. कई रास्तों में गड्ढों और कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि इन सड़कों को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगायी गयी है. एक-आध सड़कों के टेंडर होने की चर्चा भी महीनों से चल रही है, लेकिन अब तक किसी भी कार्य की शुरुआत नहीं हो सकी है. उनका कहना है कि सड़कों जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की अनदेखी आज भी बदस्तूर जारी है. कुल मिलाकर, काठीकुंड प्रखंड में सड़क जैसी आधारभूत सुविधा में आज भी गंभीर कमी देखी जा रही है. स्थिति यह है कि कई गांव आज भी विकास की मुख्यधारा से पूरी तरह कटे हुए हैं. सड़कें न होने और सड़कों की बदहाली के कारण वर्षा ऋतु में ग्रामीणों की समस्याएं और भी गहरी हो जाती है.

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