मुख्य उद्देश्य एकता, आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक विरासत को संजोना संताल आदिवासियों के धर्म, संस्कृति और सभ्यता बचाने में मिलेगी मदद संवाददाता, दुमका जामा प्रखंड के ऊपरबहाल गांव में संताल आदिवासी समुदाय ने अपने पारंपरिक पूजा स्थल मांझी थान में साप्ताहिक बोंगा बुरु-पूजा-अर्चना शुरू करने का निर्णय लिया है. अब से हर रविवार को गांव के सभी महिला, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे सामूहिक रूप से पूजा करेगे. कुल्ही दुरूप यानी ग्रामसभा के बैठक में निर्णय लिया गया कि वर्तमान समय में धार्मिक आस्था और संस्कृति को बनाये रखने के लिए साप्ताहिक सामूहिक पूजा बहुत जरूरी है. पूजा का आयोजन इष्ट देवता मरांग बुरु की श्रद्धा में किया जा रहा है, जिसे संताल आदिवासी के लोग अपने आराध्य देव के रूप में पूजते हैं. ग्रामीणों के अनुसार साप्ताहिक पूजा का मुख्य उद्देश्य सामुदायिक एकता, आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक विरासत को संजोना है. यह पहल खासकर युवा पीढ़ी को अपनी परंपरा से जोड़ने के लिए की गयी है, ताकि वे अपने रीति-रिवाजों को समझें, उसका सम्मान करें. इसके साथ-साथ बच्चों को सकारात्मक दिशा में चलने के लिए प्रोत्साहित करना भी है. आयोजन के तहत प्रत्येक रविवार को गांव वाले पूज्य स्थल मांझी थान का सफाई करेंगे. सभी एकत्र होकर पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा करेंगे, जिसमें धूप, अगरबत्ती, प्रसाद और सामूहिक बोंगा बुरु शामिल होगी. सामाजिक रूप से गांव को चलाने वाले मांझी बाबा यानी प्रधान, नायकी, जोगमंझी, प्राणिक, गुड़ित, कुड़म नायकी ने पहल का स्वागत किया है. इसे सामाजिक समरसता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया. स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि साप्ताहिक पूजा से गांव में शांति, समृद्धि और भाईचारा बढ़ेगा, इसके साथ-साथ धर्म, संस्कृति और सभ्यता को बचाये रखने में मदद मिलेगी. मौके पर मंगली मुर्मू, होपोनटी टुडू, अंजित टुडू, पकू हांसदा, शेखर मुर्मू, बुदीलाल मुर्मू, शिवचरन मुर्मू, संदीप हांसदा, देवराज हेंब्रम, संतोष मरांडी, सायमन मुर्मू, मुंशी मुर्मू, लखिंदर हेंब्रम, राकेश मरांडी, सुशील मुर्मू, संदीप हांसदा, अंजलि टुडू आदि मौजूद थे.
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