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हूल दिवस पर ग्राम प्रधानों ने निकाली रैली, इंडोर स्टेडियम में की सभा

हूल दिवस के अवसर पर ग्राम प्रधान मांझी संगठन संताल परगना की ओर से पेसा एक्ट को लागू कराने के लिए प्रमंडलीय अध्यक्ष भीम प्रसाद मंडल के नेतृत्व में ग्राम प्रधानों और संताल समाज के लेखाहोड़ यानी मांझी, जोगमांझी, पराणिक, नायकी, कुड़ाम नायकी व गुड़ितों की विशाल रैली इंडोर स्टेडियम से निकाली गयी और दूसरे हूल का आगाज करने की बात कही गयी.

पेसा एक्ट लागू करने की मांग के साथ दूसरे हूल के आगाज का किया ऐलान संवाददाता, दुमका हूल दिवस के अवसर पर ग्राम प्रधान मांझी संगठन संताल परगना की ओर से पेसा एक्ट को लागू कराने के लिए प्रमंडलीय अध्यक्ष भीम प्रसाद मंडल के नेतृत्व में ग्राम प्रधानों और संताल समाज के लेखाहोड़ यानी मांझी, जोगमांझी, पराणिक, नायकी, कुड़ाम नायकी व गुड़ितों की विशाल रैली इंडोर स्टेडियम से निकाली गयी और दूसरे हूल का आगाज करने की बात कही गयी. संगठन द्वारा रैली में नारों के जरिये विभिन्न चरणों में उग्र आंदोलन की बात कही गयी. रैली पोखरा चौक पहुंची, जहां संताल हूल के अमरनायक सिदो कान्हू की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. रैली वापस इंडोर स्टेडियम पहुंचकर सभा में तब्दील हो गयी. वक्ताओं ने कहा कि वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद, भैरव, फूलो, झानो का सपना था कि अपने गांव में अपना शासन ग्राम स्वशासन हो. पर उनका सपना वर्तमान समय तक अधूरा है. इस सपने को पूरा करने के लिए ग्राम प्रधान मांझी संगठन प्रतिबद्ध है. संताल हूल का ही परिणाम था कि संताल परगना काश्तकारी अधिनियम, संताल परगना एक्ट, संताल परगना सेटेलमेंट रेगुलेशन एक्ट जैसे कानून बन पाये. आज भी प्रभावी हैं. प्रमंडलीय अध्यक्ष श्री मंडल ने कहा कि प्रधानी व्यवस्था ग्राम स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था का मेरूदंड है, जो गांव-सरकार के बीच कड़ी का काम करती है. पर सरकार के उदासीन रवैये की वजह से इसे कमजोर करने का काम हो रहा है. ग्रामसभा के अधिकार को भी पिछले तीन-चार से शिथिल कर दिया गया है. पंचायती राज अनुसूचित क्षेत्र विस्तार अधिनियम 1996 के तहत ग्रामसभा को लघु खनिज व वनोत्पाद पर अधिकार के बावजूद भी वंचित रखा जा रहा, जो सरकारी उपेक्षा व उदासीन रवैया का द्योतक है. उन्होंने पेसा एक्ट को अविलंब लागू करने की मांग रखी तथा आदिवासी सेंगेल अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू को ग्राम प्रधान व लेखाहोड़ विरोधी बताते हुए संताल परगना में प्रवेश पर रोक लगाने, ग्रामसभा को विकास में समुचित अधिकार देने, ग्राम प्रधान परिषद बनाने ऑफलाइन मालगुजारी वसूलने, सेटलमेंट के फाइनल पब्लिकेशन में साविक जमाबंदी नंबर, साविक रकवा, साविक लगान तथा प्रधानी परचा के रैयती खाना में वर्तमान ग्राम प्रधान का नाम दर्ज करने, प्रधानों की सम्मान राशि 10 हजार व लेखाहोड़ की सम्मान राशि पांच हजार प्रतिमाह करने, सभी का दस-दस लाख रुपये कर जीवन बीमा व स्वास्थ्य बीमा कराने, 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति लागू करने व वर्तमान नियोजन नीति को अविलंब रद्द करने की मांग रखी. मौके पर जिला सचिव देवघर वरुण कुमार राय, दुमका जिला सचिव भीम सोरेन, श्रीपति मंडल, इंग्लिश लाल मरांडी, पुरुषोत्तम कुमार मिश्र, मुकेश कुमार मिश्र, अरुण कुमार राय, डाक्टर अंसारी, कृष्णचंद्र सिंह, सनत गोरायं, चंदन मुर्मू, पृथ्वी दुलई, विनोद लायक, मानवेल बास्की, नंदन टुडू, उमेश कुमार, रामलाल रजक, गुरु प्रसाद मांझी, श्रवण राय, परमेश्वर टुडू आदि मौजूद थे.

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