सामने आयी अधिकारियों की मनमानी, हाइकोर्ट के आदेश के बाद मचा बवाल
एक बार फिर जिले में अधिकारियों की मनमानी करने और हाइकोर्ट द्वारा अधिकारियों के खिलाफ आदेश पारित करने का मामला सामने आया है. इसबार भू संरक्षण विभाग द्वारा सरकारी जमीन पर तालाब नहीं बनाकर रैयत की खतियानी जमीन पर मनमानी करते हुए तालाब बनाने का मामला है. अधिकारियों को तालाब निर्माण के दौरान ही रैयत ने शिकायत की थी और बताया था कि खतियानी रैयती जमीन पर सरकारी तालाब का निर्माण किया जा रहा है जो गैर कानूनी है. बताया गया था कि कुछ दबंग लोगों की मिलीभगत से इस अवैध कार्य को अंजाम दिया जा रहा है. बावजूद उनकी किसी ने नहीं सुनी. अंतत: रैयत कार्तिक महतो को हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर करना पड़ा. यह मामला गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत खेतको पंचायत का है. खेतको पंचायत के खेतको गांव में भू संरक्षण विभाग ने तालाब निर्माण के लिए एक सरकारी जमीन को चिह्नित किया था, पर तालाब सरकारी जमीन में न बनाकर बगल के रैयत की खतियानी जमीन में बना दी गयी. इस मामले में हाइकोर्ट के आदेश के बाद बवाल मच गया.चेक स्लिप खाता नंबर 136 का, तालाब बनाया खाता नंबर 98 में
तालाब निर्माण शुरू करने के पूर्व गैरमजरूआ खास जमीन के खाता नंबर 136 अंतर्गत प्लॉट संख्या 1988 का चेक स्लिप भी हासिल किया गया. बगोदर अंचल से इस खाते का चेक स्लिप हासिल करने के बाद भूमि संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने तालाब का निर्माण कार्तिक महतो के खतियानी जमीन के खाता नंबर 98, प्लॉट संख्या 1989, 2018, 2019, 2020, 2021 व 2022 में कर दी. लगभग 1.23 एकड़ में एक तालाब का निर्माण मनमानी करते हुए कर दिया गया. पेंडराबाद तालाब निर्माण की यह योजना वर्ष 2017-18 की है जिसका क्रियान्वयन भू संरक्षण विभाग के तत्कालीन अधिकारियों, कर्मचारियों तथा लाभुक समिति के अध्यक्ष व सचिव के द्वारा कराया गया.निजी खर्च से चिह्नित स्थल पर तालाब बनाने का आदेश
जब अधिकारियों ने नहीं सुना तब रैयत ने झारखंड हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की और हाइकोर्ट के निर्देश के आलोक में गिरिडीह के तत्कालीन उपायुक्त ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान तत्कालीन डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने रैयत के अभ्यावेदन में किये गये दावे को सही पाया. इसके बाद उन्होंने गलत भूमि पर तालाब निर्माण कराने में संलिप्त रहे तत्कालीन भूमि संरक्षण पदाधिकारी दिनेश कुमार मांझी, सहायक अभियंता रामबल्लभ मिश्रा, कनीय अभियंता सुनील कुमार, योजना के लाभुक समिति के अध्यक्ष युगल महतो और सचिव मुरली महतो के विरूद्ध जवाबदेही तय करते हुए न सिर्फ सरकारी जमीन पर निजी खर्च से तालाब बनाने का आदेश दिया, बल्कि यह भी आदेश दिया कि ये सभी लोग मिलकर अपने निजी खर्च से रैयत की जमीन पर बने तालाब को भरेंगे.तालाब समतल कर रैयत को मुआवजा भी मिलेगा
इतना ही नहीं, चेक स्लिप पर चिह्नित किये गये सरकारी जमीन पर तालाब बनाने, रैयत की जमीन पर बने तालाब का समतलीकरण करने के साथ-साथ डीसी ने रैयत को मुआवजा देने का भी आदेश दिया है. इस मामले में बगोदर के अंचलाधिकारी के साथ-साथ जिला कृषि पदाधिकारी को भी निर्देश दिया है कि वे रैयत के मुआवजा का आकलन करें. बताया जा रहा है कि जिला कृषि विभाग ने कृषि से होने वाले आय के नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है.बगोदर सीओ को समीक्षा करने का निर्देश
डीसी ने अपने आदेश में बगोदर के सीओ को भी आदेश दिया है कि वे नये तालाब निर्माण कार्य के साथ-साथ पुराने तालाब के भरने के कार्यों की भी समीक्षा करेंगे. कहा गया है कि तीन माह के अंदर उक्त दोनों कार्यों को संबंधित लोगों के द्वारा पूर्ण किया जाना है. ऐसे में तीन माह के भीतर उक्त कार्य को कराने के निमित सीओ समय-समय पर समीक्षा करेंगे और अपना समीक्षा प्रतिवेदन भी उपलब्ध करायेंगे.मनमानी करने वाले अधिकारियों को दी गयी है चेतावनी
उक्त मामले में मनमानी करने वाले अधिकारियों को चेतावनी भी दी गयी है. डीसी ने अपने आदेश में कहा है कि यदि तय समय अविध के अंदर कार्य का निष्पादन नहीं किया गया तो तत्कालीन भूमि संरक्षण पदाधिकारी दिनेश कुमार मांझी, सहायक अभियंता राम बल्लभ मिश्रा, कनीय अभियंता सुनील कुमार, योजना के लाभुक समिति के अध्यक्ष युगल महतो और सचिव मुरली महतो के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई होगी.अधिकारियों ने ठंढे बस्ते में डाल दी रैयत की शिकायत
इधर खतियानी रैयत कार्तिक महतो ने बताया कि खेतको की उक्त जमीन उनके पूर्वज मलुका कुर्मी के नाम से दर्ज है और खतियान के अलावे पंजी टू में जमाबंदी कायम करने के साथ-साथ लगान रशीद भी निर्गत किया जा रहा है. कहा कि इन तमाम तथ्यों की जानकारी उन्होंने गिरिडीह के डीसी से लेकर भू संरक्षण विभाग के अधिकारियों को भी दी. लेकिन उनके द्वारा की गयी कई शिकायतों को अधिकारियों ने ठंढे बस्ते में डाल दिया.तंग आकर हाइकोर्ट का खटखटाया दरवाजा
श्री महतो ने बताया कि हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के पूर्व उसने अधिकारियों के समक्ष काफी गिड़गिड़ाया, पर अधिकारी अपने मनमानी पर उतारू थे. अंतत: तंग आकर उसने हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी. इस रिट याचिका में झारखंड सरकार के साथ-साथ गिरिडीह डीसी, भूमि संरक्षण पदाधिकारी, भूमि संरक्षण विभाग के कनीय अभियंता, बगोदर के अंचल अधिकारी, पेंडराधाम प्रोजेक्ट के अध्यक्ष युगल महतो और सचिव मुरली महतो को प्रतिवादी बनाया जिसपर हाइकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया. इसके बाद भी अधिकारियों ने हाइकोर्ट के आदेश को नहीं माना तो फिर उन्हें अवमानना का मामला हाइकोर्ट में दर्ज करना पड़ा. इसके बाद गिरिडीह डीसी समेत अन्य अधिकारियों को हाइकोर्ट से नोटिस की गयी जिसपर डीसी ने सुनवाई की और उन्हें राहत मिला. (राकेश सिन्हा, गिरिडीह)डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है