तीन माह पूर्व अगवा हुए मजदूरों का अभी तक नहीं लगा पता
पश्चिमी अफ्रीकी देश के नाइजर में बगोदर के पांच प्रवासी मजदूरों को आंतकियों द्वारा अगवा किये हुए तीन माह होने को हैं, लेकिन अभी तक मजदूरों के बारे में पता लगाने में ना तो केंद्र सरकार और ना नाइजर सरकार स्पष्ट जानकारी दे सकी है. इधर, गुरुवार को नाइजर में बंदूकधारियों ने गोमियो के गणेश करमाली समेत एक और भारतीय की हत्या कर दी. यह सूचना मीडिया में आने के बाद बगोदर के दोंदलो के मजदूर चंद्रिका महतो, फलजीत महतो, राजू महतो, संजय महतो और मुंडरो के उत्तम महतो के परिजनों की चिंता बढ़ने लगी है. मजदूरों के परिजनों ने उनकी सकुशल रिहाई की गुहार सरकार से लगायी है. उनका कहना है कि तीन माह से सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. कोई यह नहीं बता रहा है कि वह किस हाल में हैं और रिहाई कब होगी.25 अप्रैल को मजदूर हुए थे अगवा
मालूम रहे कि नाइजर के सकोरा में बगोदर के नौ प्रवासी मजदूर काम करन जनवरी 2024 में गये थे. 25 अप्रैल 2025 को कलपतरु कंपनी की साइट पर आतंकियों ने हमला कर दिया था.सैनिकों और आंतकियों के बीच फायरिंग हुई थी. इस दौरान 12 सैनिकों समेत एक स्थानीय मजदूर की मौत हो गयी थी. इस दौरान आतंकियों ने बगोदर के पांच प्रवासी मजदूरों को भी अगवा कर लिया. केंद्रीय बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने विदेश मंत्री से मिलकर उनकी सकुशल रिहाई का पत्र भी सौंपा था. इससे पहले बगोदर विधायक नागेंद्र महतो, डुमरी विधायक जयराम महतो, मांडू विधायक तिवारी महतो, पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह समेत अन्य परिजनों से मिलकर फंसे मजदूरों की रिहाई को लेकर प्रयास किया, लेकिन इन सबके बीच किसी भी मजदूर की रिहाई को लेकर सुखद सूचना नहीं मिली है, जिससे परिजनों की परेशानी बनी हुई है. पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा है कि नाइजर में गोमिया प्रखंड के गणेश करमाली और एक अन्य भारतीय प्रवासी श्रमिक की हत्या कर दी गयी है, जबकि नाइजर में ही बगोदर के पांच मजदूर अपहृत हैं. घटना के तीन माह बाद भी विदेश मंत्रालय गंभीर नहीं है. उपक्त घटना और तनाव बढ़ा रही है. झारखंड सरकार विदेश मंत्रालय के भरोसे हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे. अपने नागरिकों की सकुशल वापसी करायेडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है