मक्का के पौधे हो गये पीले, सब्जी की खेती हो रही प्रभावित
मॉनसून के शुरू होते ही लगातार हो रही बारिश से खरीफ फसल की खेती करने वाले कृषकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. बेड़ोडीह गांव के किसान दामोदर वर्मा, प्रभु महतो, छक्कू महतो, इंदुभूषण वर्मा, डीलचंद वर्मा, राजेंद्र वर्मा, भुवनेश्वर महतो, रघुनंदन वर्मा, सीताराम साव, तीतू साव, राजू सिंह, कार्तिक सिंह आदि ने बताया कि धान बीज की बुआई रोहिणी नक्षत्र व हाइब्रिड बीज की बुआई मृगशिरा व आद्रा नक्षत्र में किया जाता है. इस वर्ष मॉनसून शुरू होने के साथ ही लगातार बारिश हो रही है. इसके कारण खेतों में पानी जमा रहने से बीज की बुआई में विलंब हो रहा है. बारिश से राहत नहीं मिलने पर अधिकांश किसानों को लेवा पद्धति (पानी जमावाले खेत की जोताई कर बीज डालने का कार्य) से बीज की बुआई करनी पड़ रही है. इससे बीज खराब होने की आशंका ज्यादा है. पानी की अधिकता की वजह से बीज सड़कर बेकार हो रहे हैं. दुबारा बीज की बुआई करनी होगी. बताया कि सूखे खेत में बिचड़ा के लिए बेहतर है. इस पद्धति से उपज भी अधिक होती है.भदई फसल की खेती भी प्रभावित
अत्यधिक बारिश की वजह से इस वर्ष भदई की खेती पूरी तरह से प्रभावित हो गयी है. मकई, झींगा, करैला, कद्दू, कोहड़ा, भिंडी, मूली, बैंगन की खेती का काम किसान शुरू भी नहीं कर पा रहे हैं. कुछ किसानों ने मक्का व भिंडी के बीज की बुआई की है, लेकिन पौधे काफी कम निकल रहे हैं. पौधाें का विकास नहीं हो पा रहा है. मकई के पौधों में पीलापन आना शुरू हो गया है.बीज लगाने के लिए सही खेत का करें चयन : प्रखंड कृषि पदाधिकारी
प्रखंड कृषि पदाधिकारी संजय कुमार साहू ने के कहा कि अत्यधिक बारिश से खेत में धान के बीज की बुआई वाले खेतों में पानी जमा होने की शिकायत मिल रही है. इसे देखते हुए कृषकों से आग्रह होगा कि बुआई के लिए पानी जमा नहीं होने वाले स्थान, ऊपरी खेत व टांड़ का चयन करें. वहीं, जिन कृषकों को नुकसान हुआ है, वे आपदा प्रबंधन के तहत मुआवजा के लिए आवेदन दे सकते हैं. भदई फसल की खेती प्रभावित होने को लेकर जिले के निर्देशानुसार पहल की जाएगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है