शव घर पहुंचते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था. मृतक की पत्नी, पुत्र-पुत्री आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे. फलजीत सामाजिक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लेता था. शव पहुंचने के बाद लोग सिर्फ यही कह रहे थे कि बगोदर इलाके से देश-विदेशों में काम करने वाले लोग कमाने के लिए परदेश जाते हैं. लेकिन, किसी तरह से घटना होने के बाद मजदूर तो लौटकर नहीं आते हैं. बल्कि बंद ताबूत में उसका शव घर पहुंचता है. इससे मृत मजदूर का परिवार बिखर जाता हैं. फलजीत घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य था.
दो माह पूर्व गया था काम करने
वह परिवार पालने के लिए लंबे समय से विदेश में ट्रांसमिशन लाइन में काम कर रहा था. दो माह पूर्व वह सऊदी अरब गया था. काम के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ी और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत 30 अप्रैल को हो गयी थी. मौत होने के बाद भी परिजनों को समय पर उसका शव नहीं भेजा गया. कंपनी से मुआवजा पर सहमति नहीं बन रही थी.
मुआवजा की राशि के साथ शव रविवार को भेजा गया
बगोदर विधायक नागेंद्र महतो, डुमरी विधायक जयराम महतो, पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह की पहल पर मुआवजा की राशि के साथ शव रविवार को भेजा गया. मृतक अपने पीछे पत्नी सरिता देवी, बेटी स्वीटी कुमारी, प्रियांशु कुमारी व प्रीति कुमारी और एक चार साल का बेटा प्रिंस कुमार को छोड़ गया. मौके पर पूर्व मुखिया संतोष रजक, प्रवीण कुमार, अनूप कुमार, उमेश महतो समेत अन्य मौजूद थे.
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