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Giridih News: सीपीआई के चतुरानन मिश्र को छोड़ किसी ने भी नहीं बनायी जीत की हैट्रिक

Giridih News: गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र 1951 में अस्तित्व में आया. पहली बार वर्ष 1952 में कांग्रेस के केबी सहाय ने जीत हासिल की थी. इस सीट पर से सीपीआई के कद्दावर नेता चतुरानन मिश्र को छोड़कर किसी ने भी जीत की हैट्रिक नहीं लगायी. चतुरानन मिश्र ने क्रमश: वर्ष 1969, 1972 व 1977 के गिरिडीह विधानसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल की थी. हालांकि, तीन अन्य प्रत्याशियों ने लगातार दो चुनाव अवश्य जीतें हैं, लेकिन हैट्रिक नहीं बना पाये.

झारखंड विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ चुनावी फिजा तैयार होने लगी है. प्रशासनिक स्तर के साथ-साथ राजनीतिक गतिविधियां बढ़ने लगी है. जनता भी चुनावी चर्चा में मशगूल हैं. गिरिडीह जिले में छह विधानसभा सीट हैं. इनमें से गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र 1951 में अस्तित्व में आया. पहली बार वर्ष 1952 में कांग्रेस के केबी सहाय ने जीत हासिल की थी. इस सीट पर से सीपीआई के कद्दावर नेता चतुरानन मिश्र को छोड़कर किसी ने भी जीत की हैट्रिक नहीं लगायी. चतुरानन मिश्र ने क्रमश: वर्ष 1969, 1972 व 1977 के गिरिडीह विधानसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल की थी. हालांकि, तीन अन्य प्रत्याशियों ने लगातार दो चुनाव अवश्य जीतें हैं, लेकिन हैट्रिक नहीं बना पाये. वर्ष 1962 एवं 1967 के गिरिडीह विस चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस के रघुनंदन राम दो बार विजयी रहे. इनके बाद वर्ष 1995 व 2000 के चुनाव में भाजपा के चंद्रमोहन प्रसाद तथा वर्ष 2009 व 2014 के चुनाव में निर्भय कुमार शाहाबादी ने लगातार दो बार जीत हासिल की थी. श्री शाहाबादी ने वर्ष 2009 के चुनाव में जेवीएम की टिकट पर और वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा की टिकट से चुनाव जीता था. वहीं, कांग्रेस की उर्मिला देवी, सीपीआई के ओमीलाल आजाद, कांग्रेस के ज्योतिंद्र प्रसाद व झामुमो के मुन्नालाल एक-एक बार यहां के विधायक रहे. वर्तमान में झामुमो के सुदिव्य कुमार सोनू विधायक हैं. वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी निर्भय कुमार शाहाबादी को हरा कर झामुमो के सुदिव्य सोनू विधायक बने थे. गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र सामान्य सीट है.

चुनाव में बनेंगे जनता के मुद्दे

गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र की मुख्य समस्या पलायन, अतिक्रमण, उच्च शिक्षा, बेहतर चिकित्सा व्यवस्था, औद्योगिक विकास व रोजगार है. सभी चुनाव में यह मुद्दा बनता रहा है. इस चुनाव में भी ये मुद्दे बने रहेंगे. रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में लोग यहां से दूसरे प्रदेशों में पलायन करते हैं. अतिक्रमण व जाम की समस्या से यहां के लोग परेशान रहते हैं. इसके अलावे यहां की चिकित्सा व्यवस्था भी काफी लचर है. सरकारी अस्पताल से मरीजों को रांची या धनबाद रेफर कर दिया जाता है. सीसीएल गिरिडीह कोलियरी की ओपेनकास्ट से पिछले दो वर्षों से कोयला का उत्पादन ठप है. इसके कारण असंगठित मजदूरों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है.

कब कौन विधायक

वर्ष – विजयी प्रत्याशी – दल

1. 1952 – केबी सहाय – कांग्रेस

2. 1957 – कामख्या नारायण सिंह – सीएनपीएसपीजेपी

3. 1962 – रघुनंदन राम – इंडियन नेशनल कांग्रेस4. 1967 – रघुनंदन राम – इंडियन नेशनल कांग्रेस

5. 1969 – चतुरानन मिश्र – सीपीआई

6. 1972 – चतुरानन मिश्र – सीपीआई7. 1977 – चतुरानन मिश्र – सीपीआई8. 1980 – उर्मिला देवी – कांग्रेस

9. 1985 – ओमीलाल आजाद – सीपीआई

10. 1990 – ज्योतिंद्र प्रसाद – कांग्रेस11. 1995 – चंद्रमोहन प्रसाद – भाजपा

12. 2000 – चंद्रमोहन प्रसाद – भाजपा13. 2005 – मुन्नालाल – झामुमो

14. 2009 – निर्भय कुमार शाहाबादी – जेवीएम15. 2014 – निर्भय कुमार शाहाबादी – भाजपा

16. 2019 – सुदिव्य कुमार – झामुमो

(संवाददाता- सूरज सिन्हा, गिरिडीह)I

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