प्रधानाचार्य अर्जुन प्रसाद आर्य ने कहा कि बच्चों की शिक्षा और संस्कार में दादा-दादी, नाना-नानी का महत्वपूर्ण योगदान होता है. ये परिवार के स्तंभ की तरह होते हैं. वे कथा-कहानियों के माध्यम से बच्चों में संस्कार का सृजन करते है. विद्या भारती ने परिवार में दादा-दादी व नाना-नानी के महत्व को बतलाने एवं उनका सम्मान बढ़ाने के उद्देश्य से बहुत ही सराहनीय कार्यक्रम शुरू किया है. हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि परिवार में अपने बुजुर्गों को सम्मान देंगे और उन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होने देंगे. दादा-दादी व नाना-नानी परिवार के उस वृक्ष की तरह होते हैं जो छोटों को स्नेह की शीतल छाया प्रदान करते हैं. एक उन्नत परिवार वह है जिसमें परिवार के बुजुर्ग अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं. बुजुर्ग तनाव न लें, स्वस्थ रहें और अपने परिवार को समृद्ध और सुसंस्कृत बनाएं. दादा-दादी व नाना – नानी परिवार रूपी मंदिर के देवता के समान हैं.
गीत-संगीत प्रस्तुत कर मोहा मन
भैया-बहनों ने मनमोहक गीत और नृत्य भी प्रस्तुत किए. इस कार्यक्रम में गीता कुमारी वर्मा, दशरथ पासवान, रीना कुमारी, पुष्पा कुमारी, धीरज कुमार, खुशबू कुमारी, देवंती कुमारी, प्रकाश कुमार, योगेंद्र यादव, अंजनी कुमारी, बद्री महतो, सविता देवी, भुनेश्वर पंडित, किशोर महतो, देवचंद विश्वकर्मा, दुर्गी देवी, चंद्रदेव साहू, सुंदर विश्वकर्मा, कामेश्वर विश्वकर्मा, राधा देवी, गुलाब महतो, त्रिलोकी महतो, रीना देवी, बुधनी देवी सहित सभी भैया-बहनें उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है