मीरी-पीरी के मालिक थे गुरु हरगोबिंद साहिब, धर्म की रक्षा के लिए धारण की तलवार : गुणवंत सिंह मोगिंया
सबद-कीर्तन सुनकर संगत हुई निहाल, लंगर का किया गया
आयोजन
सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद साहिब जी का 430वां प्रकाश पर्व स्टेशन रोड स्थित गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा परिसर में रविवार को बड़े ही उत्साहपूर्वक मनाया गया. सर्वप्रथम एक सप्ताह से चल रहे सहज पाठ का समापन हुआ. इस अवसर पर अंबाला से आये रागी जत्थे के सतनाम सिंह व उनकी टीम ने धन-धन हमारे भाग, घर आया मेरा पीर…, अमृत जीवहु सदा चीर जीवहु, हरि सिमरत अनद अनंत कारज सतगुरु आप समारिया… आदि सबद-कीर्तन प्रस्तुत किये. इसे सुनकर सात संगत निहाल हो गयी. प्रकाश पर्व को लेकर गुरु ग्रंथ साहिब को भव्य रूप से सजाया गया था. गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा के प्रधान डाॅ गुणवंत सिंह मोंगिया ने बताया कि सिख पंथ के छठे धर्म-गुरु हरगोबिंद साहिब जी का जन्म अमृतसर के वडाली गांव में गुरु अर्जन देव के घर हुआ था. गुरु के जन्मोत्सव को गुरु हरगोबिंद जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है. गुरु अर्जन देव जी जहांगीर के आमंत्रण पर लाहौर चलने से एक दिन पूर्व 29 ज्येष्ठ संवत 1663 (25 मई 1606) को हरगोबिंद साहिब जी को मात्र 11 वर्ष में गुरुपद सौंप दिया. गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने सिख धर्म में वीरता की नयी मिशाल पेश की. वह अपने साथ सदैव मीरी तथा पीरी नाम कि दो तलवारें धारण करते थे. एक तलवार धर्म के लिए तथा दूसरी तलवार धर्म की रक्षा के लिए. इसलिए उन्हें मीरी-पीरी का मालिक कहा जाता था.सबसे पहले गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने ही धारण किया था कृपाणहरगोबिंद जी ने मुगलों के अत्याचार से पीड़ित अनुयायियों में इच्छा शक्ति व आत्मविश्वास पैदा किया. वे पहले गुरु थे जिन्होंने सबसे पहले कृपाण धारण की थी. उन्होंने लाल किले में कैद 70 राजाओं को छुड़ाने का काम किया था. अमृतसर में अकाल तख्त की सर्जना उन्होंने की थी. गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने एक मजबूत सिख सेना विकसित की. और सिख धर्म को उसका सैन्य चरित्र दिया. प्रकाश पर्व में लंगर की सेवा गुरुद्वारा गुरुसिंह सभा के पूर्व प्रधान अमरजीत सिंह सलूजा व उनके परिवार की ओर से की गई थी. मौके पर पूर्व प्रधान सरदार अमरजीत सिंह सलूजा, गुरुसिंह सभा के सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा ऊर्फ सम्मी, चरणजीत सिंह सलूजा, त्रिलोचन सिंह, पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह, तरणजीत सिंह सलूजा, सतविंदर सिंह सलूजा, गुरभेज सिंह कालरा, ऋषि सलूजा, जोरावर सिंह सलूजा, ऋषि चावला, राजेंद्र सिंह बग्गा, राजू चावला, गुरविंदर सिंह सलूजा, भूपेंद्र सिंह दुआ, कुशल सलूजा, अंकित सिंह बग्गा, रतन गुप्ता, समेत समाज के महिला पुरूष व बच्चे मौजूद थे.
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