कार्तिक को इलाज के लिए जमुआ सीएचसी लाया गया. उस समय सीएचसी में न तो डॉक्टर थे और नहीं कोई चिकित्साकर्मी. इसका नतीजा यह रहा कि समय पर इलाज नहीं मिलने से कार्तिक दास को अत्यधिक रक्तस्राव हुआ और उसने दम तोड़ दिया. परिजनों का कहना है कि अगर जख्मी कार्तिक का तुरंत इलाज हो जाता, तो वह बच सकता था.
करोड़ों खर्च कर सीएचसी बनाया गया है
इधर, हंगामे की सूचना मिलने पर सीएचसी पहुंचे माले के जिला सचिव अशोक पासवान ने कहा कि करोड़ों खर्च कर सीएचसी बनाया गया है, लेकिन समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां आनेवाले मरीज असमय मौत के मुंह में समा जाते हैं. प्रमुख के पति संजीव यादव और उपप्रमुख भी मौके पर पहुंचकर सीएचसी की लापरवाही पर स्वास्थ्य विभाग की कड़ी निंदा की. मामला हत्या का है, लिहाजा पुलिस भी जांच करने में जुटी है.
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