कुछ लोग गलत तरीके से लोग काट रहे पेड़
राज्य समन्वय समिति के सदस्य फागू बेसरा ने एक बार फिर साफ किया है कि आदिवासियों के अस्तित्व के बाहर से आये लोग यहां खेला कर रहे हैं. मरांग बुरु पारसनाथ पहाड़ पर जैन समुदाय दावा कर रहा है, जबकि मरांग बुरु पारसनाथ आदिवासियों की धरोहर हैं. आदिकाल से आदिवासी समाज अपने रीति रिवाज से यहां पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. अब आदिवासियों के साथ अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बाहरी लोग यहां आकर उन पेड़ों को काट रहे हैं जिन्हें हम पूजते आ रहे हैं.मरांग बुरु बचाओ संघर्ष मोर्चा की बैठक
उक्त बातें श्री बेसरा ने गुरुवार को मधुबन गेस्ट हाउस में आयोजित मरांग बुरु बचाओं संघर्ष मोर्चा की दो दिवसीय बैठक में कही. बाद में पत्रकारों से भी उन्होंने पारसनाथ पहाड़, आदिवासी समाज, सरना धर्म और जैन समाज पर कई बातें कही. श्री बेसरा ने कहा कि पारसनाथ पहाड़ के सर्वे के नाम पर जो संथाल समाज का मानसिक शोषण हो रहा है, उसके लिए संथाल समाज राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट हो रहा है. इसे लेकर मरांग बुरु बचाओ संघर्ष मोर्चा की केंद्रीय कमिटी का गठन किया गया है. बहुत ही जल्द राष्ट्रीय अधिवेशन होगा और व्यापक लड़ाई लड़ी जाएगी. उन्होंने कहा कि कई अदालतों का भी फैसला सरना धर्म को संरक्षित करने के लिए आया है. कहा गया कि मरांग बुरु आदिवासी संथाल समाज के लोगों के इस्ट देवता के रुप में आदि- काल से पूजते आ रहे हैं. मरांग बुरु एवं पहाड़ की चोटी पर पवित्र जुग जाहेर थान (सरना स्थल) और पहाड़ की तलहटी में दिशोम मांझी थान अवस्थित है. इसे बचाने को देश के समस्त आदिवासी समाज को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा. श्री बेसरा ने यहां दिशोम मांझी थान में पूजा अर्चना भी की और अपने इष्ट देवता से संथाल समाज को सद्बुद्धि देने की मांग करते हुए नये सिरे से एक केंद्रीय समिति का निर्माण किया गया. इसमे फागू बेसरा को ही अध्यक्ष बनाया गया. मरांग बुरू के अध्यक्ष रामलाल मुर्मू, जबकि रामचंद्र हांसदा व पूर्व सांसद जशाई मार्डी को उपाध्यक्ष बनाया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है