कार्यक्रम का शुभांरभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. छात्राओं ने स्वागत गान पेश किया व सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. डॉ राय ने कहा कि मातोश्री अहिल्याबाई होल्कर न्याय की साक्षात प्रतिमूर्ति थी. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर आदि का जीर्णोद्धार किया. उन्हें पुण्य श्लोका भी कहा जाता है. उन्होंने अपने समय में सती प्रथा जैसे सामाजिक बुराईयों को भी हटाने का कार्य किया था. आज की बहन बेटियों को उनके आदर्शों को जानना चाहिए और उन्हें अपने जीवन में उतारने का कार्य करना चाहिए. अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य ने महारानी अहिल्या बाई होल्कर को आज की पीढ़ी की प्रेरणास्रोत बताया.
निजी परेशानियों को अपने ऊपर नहीं होने दिया हावी
कहा कि उन्होंने जीवन की विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपने आप को स्थापित करने का कार्य किया है. उन्होंने अपने निजी जिंदगी की समस्याओं को अपने सार्वजनिक जीवन में हावी नहीं होने दिया. साबित किया कि महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में कमजोर नहीं हैं. उनकी शासन व्यवस्था में जो अखंड भारत की झलक मिलती है. वह आज भी प्रासंगिक हैं. डॉ मधुलिका व छात्राओं ने भी अहिल्या बाई के जीवन वृतांत को बताया. कार्यक्रम का संचालन डॉ संध्या ने व धन्यवाद ज्ञापन सनोज कुमार महतो ने किया. मौके पर डॉ. कन्हैया प्रसाद राय, युगल किशोर राय, डॉ अनिल बरनवाल, हेमंत कुमार सिंह, विवेक कुमार राय, डॉ. अंगद, डॉ. रोशन कुमार, मनोज कुमार, डॉ. कृष्णा कुमार, डॉ. जनार्दन प्रसाद, मनोहर ठाकुर , किशोर सिन्हा, विंदेश्वरी सिंह, पद्मावती देवी, प्रकाश सिंह, प्रदीप राणा समेत सैकड़ों विधार्थी उपस्थित थे.
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