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गिरिडीह में राशन की कालाबाजारी, मंथली डिस्ट्रिब्यूशन साइकिल की हो रही अनदेखी, अधिकारी बने मूकदर्शक

गिरिडीह जिले में मिलीभगत से राशन की कालाबाजारी की जा रही है. मंथली डिस्ट्रिब्यूशन साइकिल की अनदेखी की जा रही है. इसके बाद भी अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं.

गिरिडीह, राकेश सिन्हा: झारखंड के गिरिडीह जिले में जनवितरण प्रणाली में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का घोर उल्लंघन हो रहा है. जनवितरण प्रणाली के माध्यम से प्रत्येक माह राशन का वितरण गरीबों के बीच किया जाता है. इस वितरण व्यवस्था में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मंथली डिस्ट्रिब्यूशन साइकिल लागू की गयी है, लेकिन इस प्रावधान का जिले में खुलकर अनदेखी की जा रही है. बता दें कि जनवितरण प्रणाली को ऑनलाइन करने के पूर्व अनाज की कालाबाजारी की शिकायत बड़े पैमाने पर मिल रही थी. प्रत्येक माह का अनाज उसी माह में नहीं मिलता था और ऐसे में कालाबाजारियों को अनाज वितरण में गड़बड़ी करने का अवसर मिलता था. इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ही मंथली डिस्ट्रिब्यूशन साइकिल को लागू किया गया. इसके तहत हर कार्डधारियों को हर माह का अनाज उसी माह में दिये जाने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा न कर कालाबाजारियों के सिंडिकेट ने फिर से नये तरीके इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

अवधि विस्तार लेकर गायब किया जा रहा अनाज
मंथली डिस्ट्रिब्यूशन साइकिल लागू रहने के बाद भी परिवहन व वितरण करने वाले लोग मानने को तैयार नहीं है. अनाज घोटाला को अंजाम देने के लिए इस सिस्टम को लागू होने देना नहीं चाहते. प्रत्येक माह अनाज ना देकर अवधि विस्तार लिया जा रहा है. अब तो यह एक परंपरा बनती जा रही है. लगभग 15 दिन का अवधि विस्तार लेकर इसी दौरान दो-दो माह का अनाज वितरण दिखाया जाता है और अधिक मात्रा में अनाज का गबन कर लिया जाता है.

विभागीय अधिकारियों से सांठ-गांठ कर चल रहा है खेल
अवधि विस्तार का यह खेल एक लंबे समय से चला आ रहा है. कार्डधारियों को अनाज नहीं मिलने का हवाला देकर ये लोग हर माह 15 दिनों का अवधि विस्तार लेते हैं. सच्चाई यह है कि सरकार ने प्रत्येक माह की पहली तारीख से कार्डधारियों को अनाज देने की अधिसूचना तक जारी कर दी है, लेकिन अनाज नहीं मिलने का बहाना बनाकर कार्डधारी समय को टालते हैं और उन्हें अनाज नहीं दिया जाता है. विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह जानकारी आपूर्ति विभाग के प्रखंड से लेकर राज्य स्तर के अधिकारियों को भी पता है. लेकिन, फिर भी सभी मूकदर्शक बने हुए हैं. 29 फरवरी 2024 को खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी सतीशचंद्र चौधरी ने फरवरी माह के अनाज का वितरण अवधि में विस्तार किया है. इस पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया है कि खाद्यान्न का वितरण कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण मंथली डिस्ट्रिब्यूशन साइकिल में संशोधन किया गया है. यानि उन्होंने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों में ही बदलाव कर दिया.

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डबल फिंगर प्रिंट लेकर की जाती है अनाज की हेराफेरी
विभागीय सूत्रों की मानें तो प्रत्येक कार्डधारियों को अनाज देने के क्रम में प्रत्येक वर्ष 12 महीने के स्थान पर 9 या 10 महीने ही अनाज मिल पाता है. यही कारण है कि मंथली साइकिल सिस्टम को तोड़कर अनाज प्रत्येक माह में नहीं दिया जाता है. साथ ही कार्डधारियों को भी भ्रमित किया जाता है. जानकारों का कहना है कि अवधि विस्तार मिलने से उसी दौरान दो-दो माह का अनाज के लिए कार्डधारियों का डबल फिंगर लिया जाता है, जिसमें से एक माह का अनाज गबन कर लिया जाता है और लाभुकों को एक माह का ही अनाज दिया जाता है. इस मामले को लेकर कई बार कार्डधारियों ने भी विरोध भी जताया है.

बिरनी में अभी तक शुरू नहीं हुआ मार्च माह का वितरण
मार्च महीने में होली जैसा त्योहार रहने के बाद भी सभी कार्डधारियों को अभी तक अनाज नहीं मिल पाया है. झारखंड सरकार के पोर्टल के अनुसार जिले में सबसे ज्यादा खराब स्थिति बिरनी प्रखंड की है. बिरनी में वितरण का प्रतिशत शून्य है. यहां अभी तक मार्च माह का अनाज कार्डधारियों को नहीं दिया गया है, जिससे लगभग 30893 कार्डधारी प्रभावित हैं. वहीं, धनवार प्रखंड में मार्च माह में वितरण का प्रतिशत मात्र 4.09 प्रतिशत है. यह आंकड़ा 21 मार्च 2024 का है. राजधनवार में भी कुल 48526 कार्डधारियों में से 46580 कार्डधारियों को अनाज नहीं मिल पाया है.

एक माह पूर्व ही एफसीआइ दे देता है अनाज, फिर भी वितरण में मनमानी
विभागीय सूत्रों का कहना है कि एफसीआइ एक माह पूर्व ही जेएसएफसी को अनाज उपलब्ध करा देता है. लेकिन, जेएसएफसी के गोदामों से डीलरों तक अनाज पहुंचने में देर होता है. जेएसएफसी के अधिकारी से लेकर डीएसडी के संवेदक तक इसमें अपनी मनमानी करते हैं. सूत्रों ने बताया कि अप्रैल माह का अनाज 31 मार्च तक उठाव कर लेने का निर्देश जेएसएफसी को दिया गया है. जानकारों का कहना है कि यदि अवधि विस्तार देने की जगह जेएसएफसी भी प्रत्येक माह का अनाज उसी माह में वितरण की व्यवस्था करे तो कालाबाजारी काफी हद तक अंकुश लग सकता है.

प्रखंड का नाम – आवंटन (किलो) – वितरण (किलो) – प्रतिशत वितरण
बगोदर – 743015 – 179986 – 24.22
बेंगाबाद – 738315 – 459412 – 62.22
बिरनी – 816300 – 0 – 0
देवरी – 895875 – 316827 – 35.37
धनवार – 1268640 – 519116 – 4.09
डुमरी – 1051910 – 743360 – 70.67
गांडेय – 778450 – 574095 – 73.75
गावां – 542790 – 183490 – 33.8
गिरिडीह मुफस्सिल – 1112010 – 790179 – 71.06
जमुआ – 1268935 – 193092 – 15.22
पीरटांड़ – 543000 – 242612 – 44.68
सरिया – 725970 – 234806 – 32.34
तिसरी – 464800 – 381527 – 82.08
गिरिडीह निगम – 333270 – 150554 – 45.17
कुल – 11283280 – 4501856 – 39.9

क्या कहते हैं अधिकारी
जिला आपूर्ति पदाधिकारी सह जिला गोदाम प्रबंधक गुलाम समदानी कहते हैं कि कई प्रखंडों में बैकलॉग रहने के कारण अनाज का वितरण निर्धारित समय पर नहीं हो पा रहा है. बताया कि तीन प्रखंडों में यह समस्या है. विभाग से बैकलॉग का अनाज की मांग की गयी है. बैकलॉग का अनाज मिलने से समस्या का निदान हो जायेगा. वहीं, बिरनी के एजीएम देवेंद्र मंडल कहते हैं कि दो माह का बैकलॉग यहां चल रहा है. अभी फरवरी माह का अनाज डीलरों के पास भेजा जा रहा है. वितरण में सुधार का उन्होंने काफी प्रयास किया. हमको जितना अनाज मिल रहा है, उतना अनाज डीलरों तक पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है.

जमुआ में एमओ और एजीएम में नोकझोंक का वीडियो हुआ वायरल
इधर, जमुआ के जेएसएफसी गोदाम में अनाज उठाव को लेकर वहां के एमओ और एजीएम के बीच नोकझोंक का एक वीडियो भी वायरल हुआ है. डीलरों को निर्धारित मात्रा में अनाज नहीं मिल रहा था और इसकी शिकायत जमुआ के बीडीओ सह एमओ कमलेंद्र कुमार सिन्हा तक पहुंची. वह गुरुवार को जमुआ गोदाम में पहुंचे और वहां वजन देखने के लिए कर्मियों की प्रतिनियुक्ति कर दिया. इस प्रतिनियुक्ति पर एमजीएम ने आपत्ति जतायी और लिखित आदेश निर्गत करने की बात कही. बाद में श्री सिन्हा ने बताया कि उन्होंने वजन की जांच करने के लिए मनरेगा कर्मी को भेजा था, ताकि अनाज लोगों तक निर्धारित मात्रा में पहुंच सके और एक नयी परंपरा की शुरूआत हो. लेकिन, एक कनीय कर्मी ने अनुशासनहीनता दिखायी और उन्हें काम करने से रोका.

Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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