हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार चातुर्मास में संसार का पालन भगवान शिव के हाथों रहता है. वह स्वयं जटाजुट भभूत लगाये तपस्वी के वश में रहकर चराचर जगत के सभी जीव जंतुओं पर अपना आशीर्वाद बनाये रखते हैं. उक्त बातें काली मंडा रोड स्थित सनातन मंदिर में आयोजित प्रवचन में पंडित प्रमोद कुमार ने कही. कहा कि जिस व्यक्ति ने शिव तत्व को समझ लिया, भगवान भोलेनाथ उनके सारे मनोरथ पूरा करते हैं. शिव तत्व को हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण बताया. कहा कि यह ब्रह्मांड के मूल और सभी अस्तित्व का आधार है. इसका अनुभव ध्यान, योग, गुरु के मार्गदर्शन, सत्य और प्रेम के मार्ग पर चलकर किया जा सकता है. एक योग्य गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करना शिव तत्व को समझने और अनुभव करने में सहायक हो सकता है. बताया कि शिव को प्राप्त करने के लिए श्रावण मास उत्तम मास होता है.
सावन में ले सात्विक आहार
यही कारण है कि इस महीने में शिव के भक्त सात्विक आहार करते हैं, संयम से रहते हैं, उनमें भक्ति की बयार उमड़ पड़ती है. भगवान शिव को मृत्युंजय भी कहा जाता है. सावन मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना तथा अभिषेक करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. शिव तत्व ब्रह्मांड का सार है, जिससे सब कुछ उत्पन्न होता है तथा सभी उसी में समाहित हो जाता है. सनातन मंदिर के अध्यक्ष अमित जुनेजा ने बताया कि सावन मास में 30 दिनों तक शिवमंदिर में रुद्राभिषेक और शाम में प्रवचन होता है.
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