जैन समाज मधुबन के लोगों ने जैनियों के विश्व प्रसिद्ध महातीर्थ सम्मेद शिखर की पावन धरा पर शनिवार को श्रुतपंचमी महाव्रत हर्षोल्लास से मनाया. यह पर्व जैन धर्म के महान पर्वों में से एक है. आज के ही दिन मां जिनवाणी का रूप रूपांतरित हुआ था. इस महाव्रत में जैन समाज मधुबन के अलावे जैन महिला मंडल, शिखर जी युवा क्लब, बालिका मंडल, पारस ज्योति मंडल के सभी सदस्यों का भरपूर सहयोग रहा. सभी ने कार्यक्रम में उपस्थित होकर जिन धर्म की प्रभावना की. कार्यक्रम में मधुबन में विराजमान आचार्यों व संतों का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ. कार्यक्रम में विशेष सानिध्य निर्यापक मुनि श्री समता सागर जी महाराज, मुनिश्री पूज्य सागर जी महाराज, मुनि श्री पवित्र सागर जी, मुनिश्री अतुल सागर जी महाराज एवं आर्यका 105 गुरुमति माता जी आर्यका 105 द्रड़मति माता जी व ससंघ 55 पिच्छीधारक उपस्थित थे. गुणायतन में विराजमान साधु संतों का जत्था सुबह सात बजे गाजे-बाजे के साथ जुलूस के साथ अनिंदा पारसनाथ पहुंचे. इसके बाद मां जिनवाणी की भव्य पालकी लेकर विमल समाधि होते हुए श्री दिगंबर जैन 13 पंथी कोठी में अभिषेक पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट, जिनवाणी पूजन एवं निर्यापक मुनि समता सागर जी का प्रवचन हुआ. मुनिश्री ने जिनवाणी की विस्तारपूर्वक जानकारी दी. कार्यक्रम में सैकड़ों श्रद्धालु महिला-पुरुष मौजूद थे.
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