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Giridih News :मजदूर हित में आंदोलन की धार पड़ी कमजोर

Giridih News :गिरिडीह कोलियरी ने पिछले तीन दशक में कई प्रखर ट्रेड यूनियन के नेताओं को खोया है. इन नेताओं ने हमेशा मजदूरों के अधिकार को लेकर आवाज बुलंद किया. आंदोलनों के जरिये मजदूरों को उनका हक दिलाया. समस्याओं के समाधान की दिशा में सदैव अग्रणी भूमिका अदा की गयी. यही कारण है कि आज भी दिवंगत ट्रेड यूनियन के नेता गिरिडीह कोयलांचल क्षेत्र के लोगों के जेहन में बसे हुए हैं. खासकर लाल और हरा झंडा के तले हुए संघर्ष को निरंतर याद किया जाता है.

तीन दशक में ट्रेड यूनियनों के कई प्रखर नेताओं का हुआ निधन, गिरिडीह कोलियरी पर दिखने लगा असर

गिरिडीह कोलियरी ने पिछले तीन दशक में कई प्रखर ट्रेड यूनियन के नेताओं को खोया है. इन नेताओं ने हमेशा मजदूरों के अधिकार को लेकर आवाज बुलंद किया. आंदोलनों के जरिये मजदूरों को उनका हक दिलाया. समस्याओं के समाधान की दिशा में सदैव अग्रणी भूमिका अदा की गयी. यही कारण है कि आज भी दिवंगत ट्रेड यूनियन के नेता गिरिडीह कोयलांचल क्षेत्र के लोगों के जेहन में बसे हुए हैं. खासकर लाल और हरा झंडा के तले हुए संघर्ष को निरंतर याद किया जाता है.

बता दें कि गिरिडीह कोलियरी में ट्रेड यूनियनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सीपीआई के पूर्व विधायक सह यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन सचिव ओमीलाल आजाद, यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन अध्यक्ष राधेश्याम प्रसाद, राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के सचिव एनपी सिंह बुल्लू, झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के तत्कालीन जोनल अध्यक्ष चिंतामणी वर्मा, झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के तत्कालीन सचिव जयनाथ राणा, राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ (इंटक) के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष रामचंद्र मिश्रा व कोल माइंस वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन अध्यक्ष बिनोद कुमार सहाय का निधन हो गया है. एक के बाद एक नेताओं को गिरिडीह कोयलांचलवासियों ने खोया है. इनमें से कई ऐसे थे जो श्रम कानून के काफी जानकार थे. मजदूरों के सवालों को लेकर खुद वकालत किया करते थे. मजदूरों की आवाज को प्रबंधन तक मजबूती के साथ रखा जाता था. सड़क से लेकर प्रबंधन के कार्यालय तक विरोध प्रदर्शन होता था.

घटता जा रहा है मैन पावर

उस वक्त करीब दस हजार से अधिक मैन पावर हुआ करता था. कोयलांचल क्षेत्र में रौनक रहती थी. अंडर ग्राउंड माइंस 25 और 26 नंबर संचालित था. कोल इंडिया को करोड़ों का मुनाफा देने वाला कोक ओवेन प्लांट चालू था. यहां का कोक कोयला रेलवे रैक से अन्यत्र भेजा जाता था. 70-80 के दशक में गिरिडीह कोलियरी जिले की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हुआ करती थी. श्रमिकों को साप्ताहिक भुगतान मिलता था और बनियाडीह दुर्गामंडप के प्रागंण में हटिया लगता था. यहां पर खरीदारी करने के लिए पपरवाटांड़, महेशलुंडी, बदडीहा, मटरूखा, गपैय, बुढ़ियाखाद, सेंट्रलपिट, गादीश्रीरामपुर से लोग पहुंचते थे. बदलते दौर में गिरिडीह कोयलांचल का रौनक छिन गयी है. मैनपावर लगभग एक हजार हो गया है. यूनियनों का दबदबा भी कम हुआ है. आंदोलन का पुराना स्वरूप दिखाई नहीं देता है.

कोयलांचल की धरती ने देखे हैं कई आंदोलन

श्रमिकों की सुरक्षा, पदोन्नति, माइंसों में सेफ्टी का पालन, मशीनों की उपलब्धता, बंद होती इकाइयां समेत अन्य मुद्दों को लेकर कोयलांचल की धरती ने कई आंदोलन को देखे हैं. बात ट्रेड यूनियनों के पूर्ववर्ती नेताओं की करें तो सीपीआई के पूर्व विधायक स्व ओमीलाल आजाद काफी संघर्षशील रहे. मजदूरों के सवालों को लेकर लाल झंडा के तले कई आंदोलन किये. श्रम कानून के जानकार होने के कारण मजदूर आंदोलन को जीत का सेहरा पहनाते रहे. यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन अध्यक्ष स्व राधेश्याम प्रसाद पूर्व कृषि मंत्री चतुरानन मिश्रा के काफी करीबी थे. आंदोलन में उनकी भी अहम भूमिका रहती थी. स्व. प्रसाद काफी मुखर थे. गरीब-गुरबों के साथ उनकी काफी नजदीकी थी. उन्होंने हमेशा मजदूरों के अधिकार को लेकर लड़ाई लड़ी. वह आजीवन सीपीआई में रहे. राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के तत्कालीन सचिव स्व. एनपी सिंह बुल्लू श्रम कानून के जानकार थे. पहले वह राकोमसं के सचिव पद पर थे. वह कांग्रेस के निर्वाचित जिलाध्यक्ष बने थे. श्रमिकों के सवाल पर लड़ाई लड़ते रहे. लेबर कोर्ट में वह स्वयं बहस किया करते थे. माइका मजदूरों के हक के लिए भी स्व. सिंह कई लड़ाइयां लड़ीं. झाकोमयू के तत्कालीन जोनल अध्यक्ष स्व. चिंतामणी वर्मा काफी सुलझे हुए नेता थे. गिरिडीह कोलियरी के मजदूरों की आवाज को सीसीएल मुख्यालय तक उठाते थे. झाकोमयू से पूर्व वह कांग्रेस व राकोमसं में थे. लेकिन, बाद में कांग्रेस छोड़कर वह झामुमो व झाकोमयू में आजीवन रहे. मजदूर आंदोलनों में वह हमेशा सक्रिय रहते थे. झाकोमयू के तत्कालीन सचिव स्व. जयनाथ राणा पहले सीपीआई व यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन में थे. लेकिन, बाद में झामुमो में शामिल हुए और झाकोमयू के सचिव बने. स्व. राणा के नेतृत्व में लोकल सेल मजदूरों केअधिकार की लड़ाई लड़ी गयी. वह हमेशा कोलियरी व मजदूरों की हित की बात करते थे. उन्हें सभी मामलों की बखूबी जानकारी थी. राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ (इंटक) के कार्यकारी अध्यक्ष स्व. रामचंद्र मिश्रा श्रमिकों के हित में अपनी अहम भूमिका निभाई थी. पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बिंदेश्वरी दुबे के नजदीकी होने के कारण सीसीएल के श्रमिकों की समस्याओं का समाधान जल्द करवाते थे. वह श्रम न्यायालय में मजदूरों की लड़ाई लड़ते थे. औद्योगिक विवाद, भविष्य निधि व ग्रेच्युटी को लेकर आवाज बुलंद करते और समस्या का समाधान कराते थे. कोल माइंस वर्कर्स यूनियन के तत्कालीन अध्यक्ष स्व. बिनोद कुमार सहाय काफी मृदुभाषी थे. मजदूरों व जनता की समस्याओं के निराकरण करने के लिए आगे रहते थे. वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगरनाथ मिश्रा और बिहार की पूर्व राज्यपाल रामदुलारी सिन्हा के काफी करीबी थे.

(सूरज सिन्हा, गिरिडीह)

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