जानकारी के अनुसार उक्त विद्यालय का एक छात्र कार्यालय में रोते हुए आया और श्री चतुर्वेदी से कहा कि उसके पैर के तलवे में एक बड़ा जख्म है. वह खड़ा नहीं हो पा रहा है. यह सुन कर प्रधानाध्यापक ने उसका प्राथमिक उपचार किया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. उस बच्चे के साथ में उसी स्कूल में पढ़ने वाली उसकी बहन भी थी. बहन लगातार रो रही थी. दोनों बच्चों ने बताया कि उनका घर विद्यालय से दूर कुंडा गांव में है. वहां तक जाने का रास्ता जंगल के बीच से है और दुर्गम है. यह सुन प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बच्चे के माता-पिता से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनका फोन नहीं लगा. इस बीच बच्चे बेहाल थे. यह देख प्रधानाध्यापक अपने स्कूल के सहायक अध्यापक अजय व सुदर्शन के साथ बाइक से उक्त बच्चे को लेकर उसके घर की ओर रवाना हुए. पर उसके घर के रास्ते में एक नदी पड़ती है, जहां बाइक ले जाना संभव नहीं था. इस पर उन्होंने अपनी बाइक वहीं खड़ी कर दी और बच्चे को कंधे पर बैठा कर नदी पार कर लगभग दो किलोमीटर पैदल घने जंगलों व झाड़ियों से होते हुए छात्र के घर पहुंचे. इस बीच एक शिक्षक अजय कुमार गिरकर घायल भी हो गये. फिर भी उनलोगों ने हार नहीं मानी और उक्त छात्र को उसके घर तक पहुंचाया. शिक्षकों के इस कार्य को लेकर सर्वत्र सराहना हो रही है.
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