गिरिडीह कॉलेज. शिक्षकों की कमी से नहीं होती पढ़ाई, विद्यार्थियों ने छोड़ा कॉलेज आना
सिर्फ नामांकन और परीक्षा फॉर्म भरने के लिए आते हैं विद्यार्थी
गिरिडीह कॉलेज जिले का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान माना जाता है. यह कॉलेज आज शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. करीब 70 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पूरी कर चुके इस कॉलेज में वर्तमान समय में सात हजार से अधिक छात्र नामांकित हैं, लेकिन उनको पढ़ाने के लिए मात्र 18 शिक्षक हैं. इससे छात्रों और अभिभावकों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. कॉलेज स्थापना के समय यह विश्वास बना था कि अब जिले के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन, अब हालात ऐसे हो चले हैं कि छात्र कॉलेज में सिर्फ तीन बार नामांकन कराने, परीक्षा फॉर्म भरने और एडमिट कार्ड लेने के लिए कॉलेज आते हैं. शिक्षकों की कमी से नियमित कक्षाएं लगभग ठप हैं. कुछ छात्र जरूर कॉलेज आते हैं, लेकिन वे या तो कैंपस में समय बिताकर लौट जाते हैंय यह समस्या पिछले कई वर्षों से बनी हुई है. शिक्षकों की नियुक्ति पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. गौरतलब है कि प्रतिवर्ष यहां विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रहा है, लेकिन शिक्षकों की संख्या जस की तस है. यह असंतुलन शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है. सात विषयों में सिर्फ हिंदी में हैं एक शिक्षक, बाकी विभाग खाली : यूजी और पीजी स्तर के सात विषयों में केवल हिंदी विषय में एकमात्र शिक्षक कार्यरत हैं. शेष अन्य विषयों में एक भी शिक्षक नहीं हैं. बॉटनी में 51, केमिस्ट्री 72 व साइकोलॉजी में 63 छात्र हैं, लेकिन एक भी शिक्षक नहीं हैं. हिस्ट्री विभाग की स्थिति काफी खराब है. इसमें 1437 छात्र नामांकित हैं, लेकिन शिक्षक एक भी नहीं हैं. हिंदी के 832 छात्र को एक शिक्षक पढ़ा रहे हैं. गणित विभाग की बात करें तो यूजी में 161 छात्र व पीजी में 96 छात्र नामांकित हैं, लेकिन, एक भी शिक्षक नहीं है. छात्रों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो पढ़ाई कैसे होगी. मजबूरी में छात्र खुद से पढ़ाई करने या कोचिंग का सहारा लेने को मजबूर हैं. ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर छात्र इस व्यवस्था से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.बढ़ते जा रहे विद्यार्थी, कम रही है शिक्षक की संख्या
कॉलेज में प्रतिवर्ष विद्यार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, वहीं, शिक्षकों की संख्या घटती जा रही है. प्रतिवर्ष शिक्षक रिटायर हो रहे हैं. शिक्षकों की संख्या घटकर अब 18 रह गयी है. इसका सबसे बड़ा कारण है रिटायरमेंट. पिछले कुछ वर्षों में कॉलेज के कई अनुभवी शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनकी जगह अब तक किसी की नियुक्ति नहीं की गयी है. कॉलेज में कार्यरत शिक्षकों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है. एक ही शिक्षक को कई विषयों की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है. छात्रों का कहना है कि वे उच्च शिक्षा की उम्मीद लेकर कॉलेज में दाखिला लेते हैं, लेकिन यहां मूलभूत शैक्षणिक ढांचे का ही अभाव है. पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है.कॉलेज में 17 वर्षों से नहीं हुई है शिक्षकों की नियुक्ति
वर्ष 2008 के बाद से अब तक कॉलेज में एक भी नये शिक्षक नहीं मिले हैं. जबकि, इस अवधि में कई शिक्षक रिटायर हो गये हैं. वर्तमान में जो शिक्षक हैं, उनमें भी कुछ रिटायर होनेवाले हैं. इससे कॉलेज प्रशासन और छात्र चिंतित हैं. यदि आनेवाले वर्षों में शिक्षकों की बहाली नहीं हुई, तो कॉलेज में पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो सकती है. कुछ छात्रों का कहना है कि कई विषय में कोई स्थायी शिक्षक ही नहीं हैं. जो कुछ सीखने को मिलता है, वह सिर्फ किताबों या इंटरनेट के भरोसे है.200 शिक्षकों की है आवश्यकता : प्राचार्य
कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनुज कुमार ने कहा कि शिक्षकों की कमी कोई नयी समस्या नहीं है, लेकिन स्थिति अब चिंताजनक हो गयी है. वर्ष 2008 से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है, जबकि प्रत्येक वर्ष छात्रों की संख्या बढ़ रही है. वर्तमान में कई विषयों में एक भी स्थायी शिक्षक नहीं हैं. जो शिक्षक कार्यरत थे, वह रिटायर हो चुके हैं या होने वाले हैं. इससे कॉलेज में पढ़ाई प्रभावित हो रही है. छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में है. कहा कि उन्होंने एक या दो बार नहीं, बल्कि कई बार विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग को पत्र लिखा, लेकिन कोई पहल नहीं हुई. कहा कि कॉलेज में नामांकित छात्रों की संख्या को देखते हुए कम से कम 200 शिक्षकों की आवश्यकता है, ताकि हर विषय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके.(विष्णु स्वर्णकार गिरिडीह)
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