गांव की आबादी 100 के करीब है. गांव में बगल में ही आधा दर्जन से अधिक फैक्ट्री संचालित हैं बावजूद ग्रामीण गिरिडीह शहर में मजदूरी करने को विवश हैं. इस गांव में जाने के लिए पगडंडी ही सहारा है. ग्रामीणों के लिए पानी की भी समस्या है. पानी के लिए गांव में एकमात्र चापाकल ही सहारा है. नल जल योजना के तहत यहां स्ट्रक्चर जरूर खड़ा किया गया है, लेकिन ग्रामीणों के घरों में लगाये गये नल में पानी नहीं आता है. पानी के लिए चापाकल पर आश्रित है जिसकी स्थिति भी ठीक नहीं है. कब चापाकल खराब हो जायेगी इसकी चिंता में ग्रामीण परेशान रहते हैं.
कपड़े धोने जाते हैं छछंदो नाला
कपड़ा धोने व स्नान करने के लिए गांव के ग्रामीण छछंदो नाला जाने को विवश हैं. ग्रामीणों ने नल जल योजना को चालू कराने की मांग की लेकिन तीन साल से चल इस योजना के तहत एक दिन ही चला उसके बाद पुनः पानी नल से नहीं आया है. गर्मी के इस मौसम में ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं गांव में शौचालय ठेकेदारी की भेंट चढ़ गई.अधिकांश शौचालय पड़े हैं आधे-अधूरे
अधिकांश शौचालय आधे अधूरे पड़े हैं. शौचालय के टंकी भी नहीं बनाया गया है. शौचालय के कमरे जीर्ण शीर्ण हो चुके हैं. किसी में दरवाजा भी नहीं लगाया गया है. मूलभूत समस्या से जुझ रहे ग्रामीणों को व्यवस्था का लाभ देने की दिशा में प्रशासनिक पहल नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है