27.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पक्की सड़क के लिए तरस रहे बसखोरिया के ग्रामीण

विकास की रौशनी से कोसों दूर है बसखोरिया, गांव तक जाने के लिए पगडंडी ही सहारा

विकास को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक भले ही ढिंढोरा पीट रही हो, लेकिन विकास सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया है. विकास की रोशनी अब तक बसखोरिया गांव तक नहीं पहुंच पायी है. आप को जान कर हैरानी होगी कि बसंतराय प्रखंड मुख्यालय से महज एक किलोमीटर दूर बाघाकोल पंचायत अंतर्गत बसखोरिया गांव है. इस गांव के ग्रामीण आज के आधुनिक युग में भी एक अदद सड़क के लिए तरस रहे हैं. गांव में मूल रूप से अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांव के लोग आज भी पगडंडी के सहारे प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए विवश हैं.

बरसात के दिनों में नर्क बन जाती है ग्रामीणों की जिंदगी

बरसात के मौसम में जिंदगी नर्क बन जाती है. न तो गांव में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है और न ही शिक्षा का समुचित इंतजाम है. वहीं ग्रामीणों ने सड़क निर्माण के लिए कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि से गुहार लगायी, लेकिन जनप्रतिनिधि द्वारा आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. गांव की आबादी लगभग 7 सौ की है, जो मूल रूप से मांझी समुदाय के है. आधी से अधिक आबादी कच्चे मकान में रहने को विवश है. ग्रामीणो ने बताया कि किसी तरह मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. वही कुछ ग्रामीणों का कहना है कि वृद्धा पेंशन के लाभ से आज भी वंचित हैं और मंईयां सम्मान योजना का लाभ अधिकांश महिलाओं को नहीं मिला है. गांव में चापाकल की स्थिति सही नहीं है, जिससे पेयजल की समस्या बढ़ती जा रही है.

जमीन के अभाव में आवास योजना के लाभ वंचित हैं ग्रामीण

गंवा के अधिकांश लोग भूमिहीन है, जिसके चलते जरूरतमंद ग्रामीण जमीन के अभाव मे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने से वंचित हैं. वहीं ग्रामीण नकुल मांझी, राजू मांझी, विंदू मांझी, नरी मांझी, लेमो मांझी, जगदीश मांझी, छेदी रामू मांझी, छक्कू मांझी, गागो माझी, भोला माझी, सिकंदर मांझी, सुरेश मांझी, सुनील मांझी, प्रमिला देवी, पीशु मांझी, महेन्द्र मांझी, चिंती देवी, इन्दू देवी ने बताया कि सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधि इस गांव के विकास पर ध्यान नही देते हैं. गांव में यदि बरसात के मौसम में बीमार पड़ जाये तो अस्पताल ले जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं प्रसूता महिलाओं को प्रसव के लिए खाट पर टांग कर प्रखंड मुख्यालय लाया जाता है. बरसात के दिनों में गांव टापू में तब्दील हो जाता है. गांव के लोग किसी तरह काफी परेशानी उठा कर जरूरत का सामान बाजार से खरीद कर लाते हैं. इतनी पीड़ा रहने के बावजूद न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि और न ही प्रशासन का ध्यान आज तक इस ओर गया है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से सड़क बनाने के लिए गुहार लगायी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel