23.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

फुलबड़िया पंचायत के तीन गांवों में पेयजल संकट गहराया

फुलबड़िया पंचायत के तीन गांवों में पेयजल संकट गहराया

ठाकुरगंगटी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत फुलबड़िया पंचायत के तीन गांवों में इन दिनों पेयजल की घोर समस्या उत्पन्न हो गयी है. पीने के पानी को लेकर ग्रामीण त्राहिमाम हो रहे है. इसके बावजूद भी विभाग गहरी नींद से सो रही है. पंचायत के गमराह, फुलबड़िया व सोनपुर गांव में लगा सोलर जलमीनार विगत आठ माह से खराब पड़ा हुआ है. गांव के लोग पीने के पानी को लेकर त्राहिमाम हो रहे है. इसके बावजूद भी विभाग सुधि नहीं ले रही है. तीनो ही गांवों के लगभग तीन हजार की आबादी इस भीषण गर्मी में पेयजल को लेकर हलकान है.

सड़क के किनारे लंबी दूरी तक बसा है गांव

जानकारी देते हुए गांव के ग्रामीण जीतराम हांसदा, तल्लु टुडू, भागवत हांसदा, मनोज टुडू, होपना टुडू आदि ने बताया कि तीनों गांव सड़क के दोनों किनारे लंबी दूरी तक बसा हुआ है. जहां सभी आदिवासी समुदाय के लोग रहते है. गमराह गांव के शास्त्री टुडू घर के सामने व फुलबड़िया गांव के कालिदास हेंब्रम घर के सामने व फुलबडिया गांव के लखीराम घर के पास लगाया गया सोलर जलमीनार विगत आठ महीनों से खराब पड़ा हुआ है. इससे गांव में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. तीनों ही जलमीनार पर गांव की आधी आबादी आश्रित है, जिन्हें अब अन्यत्र स्थानों से पीने का पानी अपने माथे पर लेकर आना पड़ता है. कई अधिकांश परिवार तो गांव के खुले कुएं का पानी तो कुछ लोग गांव के बगल में अवस्थित नदी का पानी भी पीने को मजबूर हो गये हैं. ग्रामीणों ने बताया की इतनी ज्यादा आबादी वाले इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में पेयजल की स्थिति को लेकर लोग संकट में हैं और भीषण गर्मी व चल रही लू से जीना मुश्किल हो रहा है. दूसरी ओर ग्रामीण पीने के पानी को तरस रहे हैं. बताया कि आखिर किस कारण से गर्मी के मौसम में जलमीनार की यह स्थिति उत्पन्न होती है. निर्माण कार्य के समय काफी घटिया किस्म का मोटर व सामग्री को लगाया जाता है, जो कुछ दिनों तक चलने के बाद वह खुद खराब पड़ जाता है और इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं होता है.

मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों ने बताया कि काफी पिछड़ा गांव है, जहां गरीब परिवार के लोग रहते है. ग्रामीण मजदूरी कर अपना जीवन यापन करने का काम कर रहे है. गरीबी रहने के कारण गांव के लोग इतनी परेशानी झेलने को विवश है जो खुद की राशि से मरम्मती कराने में असफल हो रहे है. ग्रामीणों ने बताया की घरों में भोजन बनाने के लिए महिलाएं पानी को लेकर अपनी जुगाड में पसीना बहाती है. जिन्हें की घर के छोटे छोटे बच्चे को देखना पड़ता है. इसके बाबजूद भी विभाग उदासीन है. तीनों जलमीनार हांथी का दांत बनकर खड़ी है.

बनने के कुछ दिन बाद बेकार हो जाता है जलमीनार

ग्रामीणों ने बताया कि इस तपती लू में भोजन से ज्यादा जरूरी प्यास बुझाने के लिए पानी की आवश्यकता पड़ती है. ग्रामीणों ने कहा कि सरकार की ओर से लाख लाख रुपये खर्च कर गांव के ग्रामीणों को पीने के पानी को लेकर जलमीनार तैयार किया जाता है, पर निर्माण कार्य के कुछ दिनों के बाद ठेकेदार की भेंट चढ़ जाती है. जिसकी सुधी तक लेने वाला कोई नहीं है. हालांकि मामले को लेकर बीडीओ विजय कुमार मंडल से पूछे जाने पर उन्होंने बताया की मामले की जानकारी मिली है. जल्द ही खराब पड़े जलमीनार को दुरुस्त कराने का काम किया जाएगा, ताकि भीषण गर्मी में लोगो को थोड़ी राहत मिल सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel