27.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

योगिनी शक्तिपीठ में 1100 वर्षों से हो रही पूजा, नौ दिनों तक तांत्रिक विधि से होगी मां की आराधना

खेतौरी समाज के पहले नट राजा भी किया करते थे मां योगिनी की अराधना, बंगाल, बिहार व असम से श्रद्धालु आते हैं दर्शन करने, तैयारी अंतिम चरण में

गोड्डा. पथरगामा प्रखंड के बारकोप गांव में ऐतिहासिक शक्तिपीठ के रूप में मां योगिनी का मंदिर है. इस मंदिर में खास कर दुर्गापूजा के दौरान मां की आराधना नौ दिनों तक तांत्रिक विधि से की जाती है. पिहली से लेकर नवमी तक हर दिन भक्तों की भीड़ जुटती है. मंदिर वर्षों से आस्था के केंद्र के साथ शक्ति के उपासना का सबसे प्रमुख स्थल है. जानकारों की राय में मंदिर का इतिहास करीब 1100 साल पुराना है. बताया जाता है कि खेतौरी राजाओं से पहले नट राजाओं के अराधना का केंद्र रहा है. इस मंदिर में पहले व आज भी बंगाल, असम के साथ बिहार के भक्तगण पूजा करने को आते हैं. तंत्र साधना को लेकर यहां आज भी बंगाल से साधक पहुंचते हैं. बारकोप में दो पहाड़ों के बीच माता का है मंदिर मंदिर दो पहाड़ों के बीच स्थित है. बारकोप पहाड के नीचे बने मंदिर में मां योगिनी का मंदिर व पास सटे पहाड़ की चोटी पर मां योगिनी की गुफा आज भी भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है. बताया जाता है कि 1800 सौ इसवी में विदेशी पर्यटक फांसिसी यात्री बुकानन ने अपनी पुस्तक में योगिनी मंदिर का वर्णन किया है. 1100 सौ ईसवी में खेतौरी राजाओं का साम्राज्य के फैलाव से पहले नट राजाओं ने भी मंदिर में पूजा अराधना किया करते थे. बताते चलें कि नट राजाओं को पराजित कर खेतौरी राजाओं ने अपनी शासन व्यवस्था कायम किया था, जो लगातार जारी रहा. आज भी उनके वंशज पूजा को उसी प्रकार से व्ययवस्थित करते आ रहे हैं. बारकोप स्टेट के राजा ने कराया था बरामद का निर्माण मुख्य पुजारी सह खेतौरी राज परिवार के वंशज आशुतोष सिंह बताते हैं कि मां योगिनी की पूजा-अर्चना खेतौरी राज परिवार से पहले से चली आ रही है. बारकोप स्टेट के राजाओं ने मंदिर के बरामदा का निर्माण कराया था, जबकि मुख्य मंदिर यहां पहले से ही था. आशुतोष सिंह बताते हैं कि मंदिर में मां की पूजा पूरी तरह से तांत्रिक पद्धति से होती है. तंत्र साधना का केंद्र मां योगिनी स्थान में पहले असम, बंगाल से भी लोग आते थे. आज भी इस मंदिर में पूजा व दर्शन के लिए झारखंड के साथ बिहार, बंगाल, असम आदि से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं, जिस स्थान पर आज मां की पूजा हो रही है. वह सबसे पुराना है. पहली पूजा से कलश स्थापना के साथ मां की हर दिन तांत्रिक विधि से पूजा होती है. हर दिन दुर्गा स्तुति होती है. अमावस्या के दिन से हवन आरंभ होकर नवमी तिथि तक लगातार किया जाता है. यहां आमदिन भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करने आते हैं. मगर नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है. श्री सिंह ने बताया कि नवमी पूजा को बलि के बाद कुंआरी कन्याओं को भोजन कराया जाता है. योगिनी मंदिर में बारह मास चौबीस घंटा अखंड दीप जलता रहता है. यहां बलि देने बड़ी संख्या में आते हैं भक्त मंदिर में पूजा के साथ बकरे की बलि के लिए बिहार के अलावा दूर दराज से लोग यहां आते हैं. नवमी तिथि को भारी भीड़ के बीच यहां बलि दी जाती है. पुजारी ने बताया कि यह खेतौरी राजवंशजों की राजमाता है. राजपरिवार की ओर से इस मंदिर के सेवायत की व्यवस्था थी. अंतिम सेवायत समल देवन थे. 1975 में सेमलदेवन द्वारा मंदिर पूजा का कार्यभार उन्हें सौंपकर बस गये. तब से उनके द्वारा ही पूजा कार्य संचालित किया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel