गोड्डा सदर अस्पताल की दूसरी मंजिल पर नवनिर्मित 22 बेड का अत्याधुनिक आईसीयू बीते 7-8 माह से तैयार है, लेकिन अब तक इसे चालू नहीं किया जा सका है. यह आइसीयू जिला भर में उपलब्ध सबसे आधुनिक सुविधाओं वाला है, जिसे डीएमएफटी की राशि से तैयार किया गया है. इस आईसीयू में महंगे और उन्नत स्वास्थ्य उपकरण लगे हैं, जिनसे भर्ती मरीजों को बेहतर इलाज मिलना था. इसके साथ ही इस मंजिल में जेनरल वार्ड और डायलिसिस सेंटर भी कार्यरत हैं. बावजूद इसके महंगी लागत से स्थापित इस आइसीयू को शुरू कराने में स्वास्थ्य विभाग अब तक गंभीरता नहीं दिखा सका है. तत्कालीन जिलाधिकारी जिशान कमर ने इस वार्ड को जल्द चालू कराने के लिए आवश्यक मापदंडों को पूरा करने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिया था. लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण आईसीयू का संचालन अभी तक शुरू नहीं हो सका है. इस देरी के कारण अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार मरीजों को उच्चस्तरीय चिकित्सीय सुविधा मिलने में बाधा आ रही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ एवं स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस तरह के महंगे उपकरण और संसाधन बिना उपयोग के पड़े रहना जिला स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए चिंता का विषय है. विभाग को चाहिए कि जल्द से जल्द इस आईसीयू को चालू कराकर मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराये.
28 अप्रैल को ही मंत्री संजय यादव ने किया था उद्घाटन
सदर अस्पताल स्थित नवनिर्मित 22 बेड के आईसीयू का उद्घाटन दो माह पूर्व 28 अप्रैल को राज्य के श्रम नियोजन एवं उद्योग मंत्री संजय प्रसाद यादव तथा तत्कालीन उपायुक्त जिशान कमर द्वारा किया गया था. उस समय मौजूद तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. अनंत झा सहित तमाम स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसे जिले के लिए बड़ी उपलब्धि बताया था, लेकिन दो माह बाद भी यह ICU मरीजों के लिए चालू नहीं हो सका है. सूत्रों के अनुसार आइसीयू को चालू करने के लिए जिन बुनियादी योग्यताओं और संसाधनों की आवश्यकता थी, वे अब तक पूरी नहीं की गयी हैं. आइसीयू के संचालन के लिए चार एमडी चिकित्सकों की आवश्यकता है, लेकिन अब तक उनकी नियुक्ति नहीं हो सकी है. गिरीडीह की एक स्टाफ प्लेसमेंट एजेंसी को आइसीयू संचालन का जिम्मा सौंपा गया है, लेकिन एजेंसी की गतिविधियां पूरी तरह से ठप है. मई माह में कुछ जीएनएम और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को दो-चार दिन का प्रशिक्षण देकर छोड़ दिया गया था. फिलहाल आइसीयू में ताला लटका हुआ है. करोड़ों की लागत से लगाये गये अत्याधुनिक उपकरणों पर सात-आठ महीने से धूल जम रही है, जिससे संसाधनों के नष्ट होने की आशंका भी जतायी जा रही है. सफाईकर्मी और सुरक्षा गार्ड की भी अब तक नियुक्ति नहीं की गयी है.स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी से जनता परेशान, मरीजों को हो रही मुश्किल
जिले में गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों को बेहतर इलाज के लिए अब भी बाहर का रुख करना पड़ रहा है. सदर अस्पताल स्थित नवनिर्मित 22 बेड वाले आइसीयू को अब तक चालू नहीं किया जा सका है, जिसके कारण आम जनता को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. बीमार मरीजों को दूसरे जिलों या बड़े शहरों में इलाज के लिए भेजना परिजनों पर भारी आर्थिक बोझ डाल रहा है. यदि यह अत्याधुनिक आईसीयू जल्द संचालित हो जाता, तो न केवल जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होता, बल्कि आम लोगों को भी काफी राहत मिलती. स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते करोड़ों की लागत से तैयार यह सुविधा बेकार पड़ी है, जिससे आमजन में नाराजगी का माहौल है. वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की चुप्पी भी अब सवालों के घेरे में है. उद्घाटन के बाद उत्साह दिखाने वाले अब इस विषय पर मौन साधे हुए हैं, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ रही है.जल्द ही आइसीयू को चालू किया जाएगा. चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया जारी है तथा जीएनएम को पूर्व में ही प्रशिक्षित किया जा चुका है. आइसीयू संचालन के लिए सभी आवश्यक तैयारियां अंतिम चरण में हैं, ताकि इसे सुचारू रूप से शुरू किया जा सके. जिलेवासियों को आने वाले कुछ दिनों में इसका लाभ मिलने लगेगा.
-डॉ अरविंद, अस्पताल उपाधीक्षक, सदर अस्पताल गोड्डाB
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