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शहर के पुराने डीआरडीए भवन चल रहा है सदर प्रखंड का कुपोषण केंद्र, 10 मरीज का चल रहा इलाज

डीएमएफटी की राशि खर्च कर पुराने डीआरडीए भवन का नवीकरण के बाद बनाया गया कुपोषण केंद्र

जिले के सदर प्रखंड में पहले कुपोषण के उपचार को लेकर केंद्र नहीं था. हालांकि, विभिन्न प्रखंडों में कुपोषित मरीजों को लेकर केंद्र बनाया गया है, मगर गोड्डा में विगत कुछ माह पहले पुराने डीआरडीए भवन को रंग-रोगन करके कुपोषण केंद्र के रूप में विकसित किया गया है. केंद्र को डीएमएफटी की राशि से ही नवीकरण किया गया है. इसकी पहल सीएस डॉ अनंत कुमार झा द्वारा किये जाने पर डीसी की ओर से स्वीकृति देकर ओल्ड डीआरडीए को कुपोषण उपचार केंद्र के रूप में विकसित कर दिया गया है.

20 बेड वाले केंद्र में फिलहाल दस मरीज :

कुपोषण उपचार केंद्र को विकसित करते हुए डीएमएफटी की राशि लगायी गयी है. इस केंद्र की क्षमता 20 बेड की है, जिसमें फिलहाल मात्र दस ही मरीज हैं. इसमें महिला व बच्चे भी शामिल हैं. मरीजों में पोड़ैयाहाट के अलावा गोड्डा सदर प्रखंड के हैं. जिउतिया पर्व को लेकर केंद्र में इलाज करा रही एक-दाे महिला रोगी घर चली गयी है.

किस-किस का चल रहा है इलाज :

केंद्र में पकड़िया गांव के रहने वाले पप्पू यादव की पांच माह की बच्ची का इलाज चल रहा है. बच्ची की मां पिछले अप्रैल माह में बच्चे को जन्म देने के उपरांत मर गयी थी. वहीं भटोंधा की सुनीति मरांडी व उसकी बेटी मनाक्षी बेसरा, महडा पोड़ैयाहाट की तालाबेटी सोरेन व उसकी चार साल की पुत्री सुषमा हेंब्रम, सोमाली टुडू के साथ अजय मरांडी एवं चितू मरांडी के अलावा भेटोंधा की सुब्रम मनी हेंब्रम के बच्चे अस्मिता मुर्मू व हिमंती मुर्मू का इलाज किया जा रहा है.

महिलाओं व बच्चों को दिया जा रहा पौष्टिक आहार :

केंद्र में उपचार करा रही महिलाओं ने बताया कि उसे यहां रहने के अलावा दिन में चावल, दाल के साथ सब्जी एवं रात में रोटी के साथ दाल व चावल दी जाती है. केंद्र की महिलाओं को सदर अस्पताल के मेस से भोजन की व्यवस्था करायी गयी है. वहीं बच्चों के लिए दो बार सौ सौ ग्राम दूध, दलिया व खिचड़ी के अलावा हलवा आदि की व्यवस्था की जा रही है. गार्ड संजय कुमार यादव ने बताया कि हर दिन खाना मेस से आता है. बच्चों के लिए ही दूध की व्यवस्था की गयी है. महिलाओं को दूध नहीं दी जा रही है. काउंसलिंग का काम अंजू कुमारी द्वारा की जा रही है. इस दौरान गार्ड व मरीजों के अलावा अन्य कोई कर्मी नहीं देखा. दूसरी तरफ सुनीति मरांडी ने बताया कि वो चार दिन पहले ही केंद्र आयी हैं. जबकि तालाबेटी सोरेन सितंबर माह के पहले सप्ताह पहुंची है. कुछ मरीजों को उपचार के बाद छोड़ा गया है. मरीजों ने बताया कि केंद्र में ज्यादातर कुपोषित बच्चों को रखा गया है, जिसे भोजन दी जा रही है. केंद्र में खाना, बेड में रहने के अलावा विशेष सुविधा के तौर पर कुछ दवा आदि दी जा रही है.

‘कुपोषण उपचार केंद्र गोड्डा सदर में नहीं था. डीएमएफटी की राशि खर्च कर पुराने डीआरडीए भवन को तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को ही पूरा भवन ही सौंंप दिया गया है. इस केंद्र में फिलहाल दस मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

-डॉ अनंत कुमार झा, सीएस गोड्डाB

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