ललमटिया स्थित सिदो-कान्हू शिशु विद्या मंदिर के प्रांगण में महर्षि वेदव्यास जयंती को गुरु पूर्णिमा के रूप में श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया. इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक, छात्र एवं प्रबंधन समिति के सदस्यों ने महर्षि वेदव्यास के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पण कर उन्हें नमन किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानाध्यापक सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि महर्षि वेदव्यास चारों वेदों, 18 पुराणों तथा अनेक धर्मग्रंथों के रचयिता हैं. वे भारतीय ज्ञान परंपरा के महान प्रतीक और गुरुओं के गुरु हैं. उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य का संबंध एक अलौकिक और पवित्र रिश्ता है, जो व्यक्ति के जीवन को दिशा और मूल्य प्रदान करता है. गुरु के बिना शिक्षा अधूरी होती है. उनका मार्गदर्शन ही शिष्य को चरित्रवान और ज्ञानवान बनाता है. प्रधानाध्यापक ने कहा कि विद्या भारती विद्यालयों में लौकिक ज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक एवं नैतिक शिक्षा पर भी विशेष बल दिया जाता है. उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने गुरुओं के मार्गदर्शन का श्रद्धापूर्वक अनुसरण करें और गुरु-शिष्य संबंध को मजबूती प्रदान करें, क्योंकि यही भारतीय संस्कृति की आत्मा है. कार्यक्रम के अंत में विद्यालय प्रबंधन समिति की ओर से सभी शिक्षकों को वस्त्र भेंटकर सम्मानित किया गया. मौके पर अध्यक्ष सच्चिदानंद सिंह, सचिव निशु टीबड़ेवाल, कोषाध्यक्ष संतलाल लोहार, प्रदीप गुप्ता, दिलीप मांझी, संजय पंडित, शालिग्राम पांडे, मुनेश्वर महतो, विजय कुमार सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे.
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