इसीएल खनन क्षेत्र में हुई फायरिंग की घटना वहां के जमीन अधिग्रहण से भी जुड़ी हो सकती है. मालूम हो कि राजमहल कोल परियोजना के तालझारी एवं पहाड़पुर खनन क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण को लेकर प्रबंधन को काफी परेशानी झेलना पड़ा था. ग्रामीणों की सहमति से प्रबंधन को जमीन नहीं मिली थी. लगभग दो वर्ष पूर्व तालझारी गांव के रैयत के साथ भी प्रबंधन को काफी विवाद हुआ था. पुलिस बल के सहारे जमीन का अधिग्रहण किया गया था. वर्तमान समय में भी पहाड़पुर गांव के रैयत से प्रबंधन के साथ अच्छा संबंध नहीं है. लगभग एक महीना पूर्व पहाड़पुर गांव के ग्रामीणों ने जमकर प्रबंधन का विरोध किया था. मांझी परगना सरदार संघ के बैनर तले आदिवासी समुदाय के ग्रामीणों ने महापंचायत कर परियोजना के जमीन अधिग्रहण का भरपूर विरोध किया था और ग्रामीण खनन क्षेत्र पहुंचकर परियोजना के काम को बाधित करने का भी कार्य किया था. हालांकि परियोजना प्रबंधन खनन क्षेत्र के चारों तरफ पुलिस के घेराबंदी से खनन कार्य करती है. पुलिस भी इस बात को मान रही है, लेकिन कहने से इंकार कर रही है.
इसीएल प्रबंधन व रैयतों में है गहरा विवाद
तालझारी के बाद पहाडपुर गांव के रैयतों की जमीन को इसीएल लेना चाह रही है. तालझारी में पहले ही लाठी के बल पर जमीन अधिग्रहण किया गया है. रैयतों द्वारा गोलीकांड कर संभवत: परियोजना प्रबंधन को धमकाने का काम किया गया है. हालांकि यह मामला तो बड़ा है. इस पर मंथन करने की आवश्यकता है. नहीं तो बडी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है