जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे ग्रामीणों को पेयजल के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मामला मामला बलबड्डा पंचायत के छम्मनकित्ता गांव का है. बता दें कि यह गांव आदिवासी बहुल है. इस गांव में करीब एक सौ घर है, जिसकी आबादी करीब पांच सौ है. गांव में पानी की दिक्कत होने के कारण करीब सात वर्ष पूर्व 15वें वित्त विभाग से दो सोलर जलमीनार करीब छह लाख की लागत से लगाया गया था. सोलर जलमीनार लगने के कारण ग्रामीणों में पेयजल की समस्या को दूर होता देख व छना हुआ पानी मिलने के कारण काफी खुशी थी. आखिर हो भी क्यों नहीं, क्योंकि सिर्फ इस गांव में ही नहीं बल्कि गर्मी के समय पूरे पंचायत में पानी की काफी किल्लत हो जाती है. उस किल्लत में अगर पानी की व्यवस्था हो जाये, तो निश्चित रूप से ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कान होगी. मगर ग्रामीणों को क्या मालूम कि कुछ ही महीनों में जलमीनार खराब हो जायेगा और उसके चेहरे का मुस्कान छीन जायेगी. खासकर ग्रामीणों के चेहरे तब उतर गया, जब जलमीनार खराब होने के बाद चापाकल से पानी लाने गये तो चापाकल से भी पानी निकलना बंद हो गया था. इसके बाद ग्रामीणों के बीच और भी पेयजल की समस्या गहराने लगी. ग्रामीणों के बीच मंहगे डब्बे का पानी पीने के लिए विवश होना पड़ा. हालांकि मुखिया द्वारा इस जलमीनार को कई ठीक भी कराया गया. मगर पुनः कुछ ही महीनों में खराब हो गया. ग्रामीण राजा उरांव, छल्लू किस्कू, सुनील किस्कू, मंगल बास्की, बाबूजी हेंब्रम, जीतराम बास्की, ढेना बास्की, लखीराम बास्की, बेटका हेंब्रम ने वरीय पदाधिकारी से सोलर जलमीनार को जल्द ठीक कराने की मांग की है.
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