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जिप की दुकानों का कब्जा, दबंगों की होती रही जेब भारी, राजस्व में फूटी कौड़ी भी नहीं

जिला परिषद की बैठक में सदस्य ने उठाया मामला, तो डेढ़ माह बाद बनी कमेटी

लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी कि सरकार की संपत्ति पर दो दशकों तक लूट चलती रही और तंत्र गहरी नींद में सोया रहा. यह हैरान करने वाला मामला बसंतराय प्रखंड मुख्यालय के ऐतिहासिक तालाब के किनारे बने उस मार्केट कॉम्प्लेक्स का है, जिसे आज से 20 साल पहले क्षेत्र के कमजोर और गरीब लोगों को रोजगार का अवसर देने के सपने के साथ बनाया गया था. लेकिन आज यह कॉम्प्लेक्स सरकारी खजाने को चूना लगाने और दबंगों की जेबें भरने का एक अड्डा बनकर रह गया है. 20 कमरों वाले इस कॉम्प्लेक्स से पिछले 20 वर्षों में जिला परिषद को एक रुपये का भी राजस्व प्राप्त नहीं हुआ है, जबकि यहां से हर महीने लाखों रुपये का अवैध किराया वसूला जा रहा है.

लापरवाही की नींव पर खड़ी कब्जे की इमारत

वर्ष 2004 में, जब पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह से गठित नहीं हुई थी, तत्कालीन जिला परिषद ने लगभग बीस लाख रुपये खर्च कर इस मार्केट कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया था. इसका उद्देश्य स्पष्ट था – स्थानीय गरीबों को दुकान आवंटित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना. निर्माण के दो साल बाद, जब जिला परिषद कार्यालय, गोड्डा ने दुकानें आवंटित कीं, तो यहीं से इस संगठित लूट की पटकथा लिखी गयी. स्थानीय दबंग प्रवृत्ति के लोगों ने सांठ-गांठ कर इन दुकानों को हथिया लिया. उन्होंने खुद कभी दुकान नहीं चलाई, बल्कि जरूरतमंद दुकानदारों को मोटी एडवांस रकम लेकर और ऊंचे मासिक किराये पर इन दुकानों को अवैध रूप से सौंप दिया. आज यहां मिठाई की बड़ी दुकानों से लेकर थोक सामग्री के विक्रेता तक व्यापार कर रहे हैं. वे हर महीने का भारी-भरकम किराया उन दबंगों को चुकाते हैं, जिन्होंने सरकारी दुकानों पर कब्जा जमाया हुआ है. विडंबना यह है कि सरकार को दिया जाने वाला कुछ सौ रुपये का मामूली किराया भी ये दबंग जमा नहीं कर रहे हैं, जिससे सरकार को प्रति वर्ष लाखों के राजस्व का सीधा नुकसान हो रहा है.

जब बैठक में गूंजा मुद्दा, तो डेढ़ महीने बाद टूटी नींद

20 वर्षों से चल रहे राजस्व के इस नुकसान पर सरकारी तंत्र की गहरी नींद तब टूटी, जब बसंतराय के जिला परिषद सदस्य अरशद वहाब ने 05 मई, 2025 को हुई आम बैठक में इस मामले को जोर-शोर से उठाया. उन्होंने सीधे तौर पर विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि कैसे बीस वर्षों से हो रहे इस नुकसान से सब बेखबर बने रहे. बैठक में मची अफरातफरी और दबाव पर मामला उठाये जाने के करीब डेढ़ माह बाद कार्यपालक पदाधिकारी ने 25 जून, 2025 को क पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया. इस समिति में जिप सदस्य मो. एहतेशामुल हक, जिला पंचायतीराज पदाधिकारी, सहित जिप के अभियंता, बसंतराय के बीडीओ व सीओ भी शामिल हैं, जिन्हें जांच कर आवश्यक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

जांच समिति की रिपोर्ट का इंतजार

सवाल उठ रहे हैं कि, क्या इन दुकानों को कब्जे से मुक्त कराकर, इनके असली हकदारों को मिल पायेगा. साथ ही इन दो दशकों में हुए करोड़ों के राजस्व नुकसान की भरपाई किससे और कैसे की जायेगी. अब सभी की निगाहें इस जांच समिति की रिपोर्ट और उस पर होने वाली कार्रवाई पर टिकी हैं. यह मामला केवल राजस्व की हानि का नहीं, बल्कि इतने सालों से बेखबर विभाग की उदासीनता और लापरवाही भी दर्शाती है.

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