महागामा प्रखंड के भोजूचक गांव में समय पर वर्षा होने से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. खेतों में ट्यूबवेल व वर्षा जल के सहारे धान की रोपनी शुरू हो गयी है, जिससे पूरे क्षेत्र में हरियाली और कृषि उत्साह की बहार आ गयी है. पानी से लबालब खेतों में महिलाएं पारंपरिक गीतों की स्वर लहरियों के बीच धान की रोपाई में जुटी हैं. चला सखी खेतवन में रोप आईं धान…और निहुरी-निहुरी करनी है धान की रोपनियां…जैसे पारंपरिक गीतों से खेतों का माहौल संगीतमय और मनोहारी हो गया है. आषाढ़ माह के अंतिम चरण में बारिश का समय पर आगमन किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा. कई वर्षों बाद ऐसी स्थिति बनी है जब वर्षा समय पर हुई और खरीफ फसलों की बुवाई का काम बिना रुकावट के शुरू हो सका. किसानों ने बताया कि इस बार इंद्रदेव समय से मेहरबान हुए हैं, जिससे अगैती धान की खेती संभव हो सकी है. खेती में पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ श्रीविधि का भी उपयोग किया जा रहा है. किसान जीछू रविदास ने बताया कि श्रीविधि से धान की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल तक उपज बढ़ सकती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होगा. धान की रोपनी के साथ ही क्षेत्र में कृषि गतिविधियों की रफ्तार तेज हो गयी है. खेतों में हरियाली लौटने लगी है और ग्रामीण इलाकों में एक बार फिर कृषि परंपराएं जीवंत होती नजर आ रही हैं.
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