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45 मिनट तक होती रही गोलीबारी, घरों में दुबके रहे ग्रामीण

पुलिस को देखते उग्रवादियों ने शुरू कर दी अंधाधुंध फायरिंग. पुलिस ने भी की जवाबी कार्रवाई

गुमला. जिले के घाघरा प्रखंड में सेहल लावादाग है. लावादाग में ही छोटा टोला चोरलतवा असुरटोली है. यह गांव घने जंगलों के बीच है. गांव तक जाने के लिए चारों तरफ नदी है. अभी बरसात है, नदी में तेज बहाव है. इस कारण गांव पहुंचने के लिए करीब दो किमी पैदन चलना पड़ता है. इस असुरटोली गांव में शनिवार की सुबह आठ बजे से पौने नौ बजे तक पुलिस व जेजेएमपी के उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई. ग्रामीण जैसा बताते हैं कि पांच उग्रवादी पहले से गांव में थे. वे लोग शुक्रवार की रात को जंगल से सटे एक घर में सोये थे. शनिवार की सुबह को सभी उग्रवादी सोकर उठे और वर्दीधारी ड्रेस पहने. कंधे में हथियार टांग कर वे किसी दूसरे ठिकाने की ओर जाने वाले थे, तभी एसडीपीओ सुरेश प्रसाद यादव के नेतृत्व में झारखंड जगुवार व स्पेशल नक्सल क्यूआरटी की टीम असुरटोली में उग्रवादियों को खोजते हुए घुस गयी. जिस समय पुलिस फोर्स गांव में घुसा. उस समय सभी उग्रवादी गांव में ही थे. पुलिस को देखते उग्रवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की. इसमें गांव में ही सब जोनल कमांडर दिलीप लोहरा को गोली लगी और वह ढेर गया. दिलीप के गोली लगते अन्य चार नक्सली गांव से निकल कर जंगल की ओर भागे. पुलिस भी उग्रवादियों के पीछे भागी और गांव से सटे खेत के समीप दो उग्रवादियों को और मुठभेड़ में मार गिराया. ग्रामीणों ने कहा कि जैसे ही गोली चली, हम अपने बाल-बच्चों को लेकर घर में घुस गये. क्योंकि पुलिस तो उग्रवादियों को निशाना बना रही थी. लेकिन उग्रवादी अंधाधुंध फायरिंग कर रहे थे, जिससे हमलोग डर गये थे. मुठभेड़ करीब 45 मिनट चली. लेकिन ग्रामीण करीब डेढ़ घंटे तक घर में ही डर से दुबके रहे.

उग्रवादियों का सुरक्षित जोन रहा है लावादाग

लावादाग घाघरा से करीब 30 से 35 किमी दूर है. घने जंगलों के बीच होने व चारों तरफ नदी से घिरा होने के कारण पहले यह इलाका भाकपा माओवादियों का सेफ जोन था. परंतु इस क्षेत्र से भाकपा माओवादियों के खात्मे के बाद कुछ सालों से जेजेएमपी के उग्रवादियों ने लावादाग इलाके को सेफ जोन बना रखा था. ग्रामीणों की माने, तो हथियार टांग कर 15 से 20 दिन में उग्रवादी इस इलाके में घुस जाते थे. कई बार तो उग्रवादी यहां दो से तीन दिन भी रहते थे. ऐसे कुछ ग्रामीणों ने कहा कि गर्मी के मौसम में उग्रवादी जंगल में प्लास्टिक का कैंप बना कर रहते हैं. बरसात व ठंड के मौसम में गांव में आकर रहते हैं. ग्रामीणों की माने, तो उग्रवादी खुद अपना खाना बनाते हैं. गांव के ही लोग बर्तन व अन्य सामानों की व्यवस्था करते हैं. गांव में कुछ अधूरे घर हैं, जहां उग्रवादी बरसात में आश्रय लेते हैं. परंतु अब जेजेएमपी के तीन उग्रवादियों के मारे जाने के बाद ग्रामीणों ने उम्मीद जतायी है कि इस इलाके में उग्रवादी नहीं घुसेंगे.

पैसे के लोभ में संगठन से जुड़ा दिलीप लोहरा

पुलिस मुठभेड़ में मारा गया सब जोनल कमांडर दिलीप लोहरा कई सालों से उग्रवादी संगठन में है. उस ऊपर कई मामले दर्ज हैं. लेकिन कुछ माह पहले वह संगठन छोड़ दिया था. इधर पुन: संगठन द्वारा उसे सब जोनल कमांडर बनाने व घाघरा के कुछ इलाके में लेवी वसूलने की जिम्मेवारी देने के बाद पुन: वह जेजेएमपी में शामिल हो गया. घाघरा व बिशुनपुर के बॉर्डर इलाके में जितना भी पुल, पुलिया, सड़क, भवन व अन्य विकास के काम हो रहे हैं. उनसे दिलीप लोहरा व उसके दस्ते के सदस्य लेवी वसूली करते थे. इधर, दिलीप के मारे जाने के बाद कई ठेकेदारों ने राहत की सांस ली है. क्योंकि दिलीप लेवी के रूप में मोटी रकत वसूलता था. कुछ ठेकेदारों को बुला कर वह धमकी भी दे चुका था.

दो साल के बाद गुमला में हुई है मुठभेड़

गुमला में दो साल बाद मुठभेड़ हुई है. इससे पहले एक जून 2023 को आंजन व मरवा गांव रास्ते पर जंगल के समीप पुलिस ने मुठभेड़ में भाकपा माओवादी के तीन लाख का इनामी तुंजो गांव निवासी राजेश उरांव को मार गिराया है. इसके बाद दो जून 2023 को चैनपुर के टोंगो जंगल में पुलिस ने छह लाख के इनामी कमांडर लजीम अंसारी को मुठभेड़ में मार गिराया था. इस दौरान हथियार भी मिला था. इधर भाकपा माओवादी के कमांडरों के खत्म होने के बाद पुलिस लगातार जेजेएमपी के खिलाफ अभियान चला रही थी. दो साल बाद पुलिस को मौका मिला और जेजेएमपी के उग्रवादियों से पुलिस की भिड़ंत हुई, जिसमें पुलिस ने तीन जेजेएमपी के उग्रवादियों को मार गिराया.

मुठभेड़ के बाद छात्रों को आगे बढ़ने से रोका गया

सखुवाटोली से होकर चोरलतवा असुरटोली गांव जाते हैं. मुठभेड़ असुरटोली गांव के समीप हो रहा था. इसलिए पुलिस ने सखुवाटोली से ग्रामीण व स्कूली छात्रों को आगे बढ़ने से रोक दिया. घंटों तक कई ग्रामीण व छात्र सखुवाटोली में फंसे रहे. जब गोलीबारी शांत हुई, तो पुलिस की छापामारी कुछ देर के लिए रोकी गयी. इसके बाद सखुवाटोली से ग्रामीणों व छात्रों को असुरटोली गांव की ओर जाने दिया गया.

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Prabhat Khabar News Desk
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