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शिबू सोरेन एक विचारधारा थे : नेल्सन भगत

शिबू सोरेन एक विचारधारा थे : नेल्सन भगत

गुमला़ गुमला शहर के सरना पूजा स्थल पालकोट रोड में आदिवासी समाज ने झारखंड आंदोलन के अग्रदूत दिशोम गुरु स्व शिबू सोरेन की तस्वीर पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित किये. इस निमित्त आना-आदि प्रार्थना व आदिवासी रीति रिवाज से भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गयी. शोक सभा में गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए विश्व आदिवासी आयोजन समिति के अध्यक्ष नेल्सन भगत ने कहा कि झारखंड निर्माण आंदोलन के अग्रदूत दिशोम गुरु स्व शिबू सोरेन का हमारे बीच से जाना अपूरणीय क्षति है. आज झारखंड की अंतर आत्मा रो रही है. शिबू सोरेन एक विचारधारा थे. उनकी विचारधाराओं को आत्मसात कर चलने की जरूरत है. शिबू सोरेन देह केवल त्यागे हैं. उनकी विचारधाराओं को लेकर हम तमाम आदिवासी लोग आत्मसात कर चलेंगे और उनके अधूरे सपने को साकार करने का हर संभव प्रयास करेंगे. विश्व आदिवासी दिवस के आयोजन समिति के सह सचिव नरेश उरांव ने शोक सभा में नम आंखों से श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि एक युग का अंत हो गया है. हमलोगों ने एक कुशल राजनेता ही नहीं एक अभिभावक भी खोया है. विश्व आदिवासी दिवस के उपाध्यक्ष विमलचंद्र बड़ाइक ने कहा कि आज झारखंड की हवा शांत है. जंगल सिसक रहा है. नदियां पहाड़ मौन है और हमारी आत्मा रो रही है. भूमिपुत्र फूट-फूटकर कर रो रहा है. झारखंड की अंतरात्मा पूरी तरह से शोक में डूबी हुई है. सारा झारखंड विरान हो गया है. हम आदिवासियों को कैसे संभालें गुरु जी के बिना सब कुछ अधूरा लग रहा है. मन व्याकुल और बेचैन हैं. संरक्षक जीतेश मिंज, महावीर उरांव, सोनो मिंज, बुधवा उरांव, शांति देवी ने भी गहरा संवेदना व्यक्त किये. शोक सभा में योगी उरांव, रामचंद्र उरांव, सोमनाथ उरांव, सुनिता उरांव, गीता उरांव एवं गुमला मुख्यालय के सभी आदिवासी छात्रावास के छात्र प्रमुख मौजूद थे. विकास भारती में दिशोम गुरु को श्रद्धांजलि दिया गुमला. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर विकास भारती में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में विकास भारती के संयुक्त सचिव महेंद्र भगत सहित कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. कार्यक्रम में शिबू सोरेन के सामाजिक, राजनीतिक व झारखंड राज्य के निर्माण में उनके योगदानों को याद किया गया. संयुक्त सचिव ने कहा की शिबू सोरेन जी का जाना सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है. उन्होंने आदिवासी अस्मिता और झारखंड राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष किया. उनके योगदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता. दिशोम गुरु के निधन पर शोक गुमला. आरटीआइ कार्यकर्ता सुनील कुमार दास ने झारखंड आंदोलन के जननायक सह दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन झारखंड राज्य के मुखर व लोगों के चहेते नेतृत्वकर्ता थे. उनके निधन से हम सभी राज्यवासी काफी मर्माहत हैं. कामडारा में दिशोम गुरु को दिया गया श्रद्धांजलि कामडारा. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर कामडारा ब्लॉक चौक में झामुमो व कांग्रेस के कार्यकर्ता व समर्थकों ने शोकसभा का आयोजन किया. सभा में सभी कार्यकर्ताओं ने एक मिनट का मौन रखकर स्वर्गीय शिबू सोरेन को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया. इस दौरान सभी ने झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता रहे दिवंगत नेता के योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया और शिबू सोरेन अमर रहे का नारा लगाया. सभा में अजीत केरकेट्टा, राजू साहू, असवनी ओहदार, सुगड़ तोपनो, अनिल हेमरोम, सुमन सिंह, अमित कंडुलना, विष्णु बड़ाइक, सिकंदर साहू, विपिन बारला, नमन कंडुलना, जोन फैड्रिक तोपनो, एग्नेश तोपनो, अगापीत होरो, फगुआ घोषाल समेत काफी संख्या कार्यकर्ता उपस्थित थे. दिशोम गुरु के निधन पर शोकसभा पालकोट. दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर पंपापुर इंटर महाविद्यालय पालकोट में मंगलवार को शोकसभा का आयोजन किया गया. शोकसभा में प्राचार्य मनोज कुमार जायसवाल के नेतृत्व में विद्यालय में बच्चों व शिक्षकों ने दो मिनट का मौन धारण कर दिशोम गुरु स्वर्गीय शिबू सोरेन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना किया गया. मौके पर प्रोफेसर प्रभात साहू, बिजय मिश्रा, प्रियंका साहू, विनिता नाग, उर्वशी कुमारी, जितेश मिंज, ज्ञानमणि बाड़ा. प्रीति गुप्ता, रोशनी मिंज, प्रज्ञा कुमारी, मेनका कुमारी, प्रसाद गोप, रामबरन गोप, मनोज लकड़ा सहित सभी बच्चे व शिक्षक शामिल थे. टाना भगत चौक में श्रद्धांजलि कार्यक्रम गुमला. ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट व झारखंड नवनिर्माण दल के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को टाना भगत चौक बिशुनपुर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने दिशोम गुर शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया. मौके पर संयोजक विजय सिंह, शिवप्रसाद साहू, रामप्यार तुरी, बसंत बड़ाइक, मंगरु उरांव, बूटन मुंडा, जायसवाल भगत, पुरण भगत, मोहम्मद शमीम, बादल सिंह, शिवप्रसाद नायक, रामलाल असुर, सीताराम उरांव, रामदयाल उरांव, सूरज उरांव सहित काफी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे.

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